विज्ञान

दुनिया के सबसे ठंडे स्थान से मिला 40 हजार साल पुराना गैंडा, दहशत में आए वैज्ञानिक

Triveni
27 Jan 2021 9:36 AM GMT
दुनिया के सबसे ठंडे स्थान से मिला 40 हजार साल पुराना गैंडा, दहशत में आए वैज्ञानिक
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दुनिया के रहने योग्‍य सबसे ठंडे स्‍थानों में शुमार रूस के साइबेरिया इलाके से बर्फ के बीच वूली गैंडे का विशाल अवशेष मिला है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| दुनिया के रहने योग्‍य सबसे ठंडे स्‍थानों में शुमार रूस के साइबेरिया इलाके से बर्फ के बीच वूली गैंडे का विशाल अवशेष मिला है। वूली गैंडे का यह अवशेष याकूतिआन इलाके में पाया गया है जो हमेशा बर्फ से ढंका रहता है। इस अवशेष को अब साइ‍बेरिया के याकूतस्‍क शहर भेज दिया गया है जहां अब इसका व‍िस्‍तृत अध्‍ययन किया जा सकेगा। गैंडे का यह अवशेष करीब 40 हजार साल पुराना है। इस गैंडे के अवशेष मिलने के बाद अब वैज्ञानिकों को एक चिंता खाए रही है।

साइबेरियन टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक रूसी वैज्ञानिकों ने इस वूली गैंडे के अवशेष को मीडिया के सामने पेश किया। करीब 40 हजार साल बीत जाने के बाद भी इस वूली गैंडे का 80 फीसदी ऑर्गैनिक मटिरियल अभी भी बना हुआ है। इसमें गैंडे के बाल, दांत, सींग और फैट अभी भी बने हुए हैं। इस गैंडे की खोज पिछले साल अगस्‍त महीने में याकूतिआन के निर्जन इलाके में बर्फ के पिघलने के दौरान हुई थी।
साइबेरिया में म‍िला 40 हजार साल पुराना गैंडा
वैज्ञानिकों को अब सता रही है यह चिंता
पूरे इलाके में रास्‍ते के बर्फ से जमे होने की वजह से इस गैंडे के अवशेष को जनवरी में लाया जा सका। याकूतिआ अकादम ऑफ साइंसेज के डॉक्‍टर गेन्‍नाडी बोइस्‍कोरोव ने कहा, 'यह किशोर वूली गैंडा करीब 236 सेंटीमीटर का है जो एक वयस्‍क गैंडे से करीब एक मीटर कम है।' उन्‍होंने कहा कि गैंडा करीब 130 सेंटीमीटर ऊंचा है जो एक वयस्‍क गैंडे से 25 सेंटीमीटर कम है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह किशोर वूली गैंडा इंसानी शिकारियों से बचने के लिए भाग रहा था और इसी दौरान वह दलदल में फंस गया।
हालांकि उसके मरने की असली वजह अभी तक नहीं पता चल पाई हैं। इस अवशेष से अब वैज्ञानिक वूली गैंडे के बारे में और जानकारी जुटा सकेंगे। रूस के साइबेरिया में अब बर्फ पिघल रही है और लगातार कई खोजें हो रही हैं। साथ ही यह भी चिंता बढ़ती जा रही है कि प्राचीन बैक्टिरिया और वायरस फिर से जिंदा हो सकते हैं जो हजारों, लाखों साल से बर्फ में दबे हुए‍ हैं। माना जाता है कि जलवायु में परिवर्तन की वजह से इन गैंडों की मौत हुई थी।


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