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- 25 करोड़ साल पहले...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पृथ्वी पर रहने वाले जीवों को कई बार ऐसे परिवर्तनों का समाना करना पड़ा है जिससे उनके अस्तित्व को चुनौती मिली है. कई प्रजातियां इन परिवर्तनों के हिसाब से खुद को ढालने में नाकाम रहीं और वे विलुत्प हो गईं. कहा जाता है कि डायनासोर के खत्म होने के पीछे एक ऐसा ही परिवर्तन था. बदलावों में एक अहम कारक है खून का तापमान. ताजा शोध से पता चला है कि 25 करोड़ साल पहले जब पृथ्वी पर सबसे बड़ा विनाश हुआ था, इसके बाद से ही कई जीवों का खून गर्म रहने लगा.
हमेशा गर्म नहीं रहाता था खून
आज के स्तन पायी जीव और पक्षियों का खून गर्म होता है. माना जाता है कि यही वजह है वे इतने लंबे समय तक खुद को पृथ्वी पर कायम रख सके है. लेकिन सच यह है कि इन जीवों का खून हमेशा ही गर्म नहीं था. यह शोध बताता है कि बड़े पैमाने पर हुए विनाश ने ही इन जीवों का खून गर्म रखने के लिए एक तरह से प्रेरित किया.
केवल इतने करोड़ साल पहले हुआ ये बदलाव
गोंडवाना रिसर्च जर्नल में प्रकाशित ब्रिस्टल यूविर्सिटी के जीवाश्म विज्ञानी प्रोफेसर माइक बेनटोन के शोध में बताया गया है कि स्तनपायी जीवों और पक्षियों दोनों के ही पूर्वज एक ही समय में गर्म खून के जीव हो गए थे जो कि 25 करोड़ साल पहले का समय था. यही वह समय था जब पृथ्वी के जीव अब तक के सबसे बड़ा विशाल काल से उबरने की कोशिश कर रहे थे.
पांच प्रतिशत बचा था जीवन
पर्मिएन ट्रियासिक महविशान ने पृथ्वी का करीब 95 प्रतिशत जीवन खत्म कर दिया था. उस सयम के उथल पुथल के दौर में बहुत ही कम जीव बचे थे जब दुनिया ग्लोबल वार्मिंग और महासागरों के अम्लीय होने की समस्या से जूझ रही थी.
ये जीव ही जीवित रह पाए थे
इस दौरान टैट्रापॉड्स के दो प्रमुख समूह जीवित रह सके थे. एक थे सिनाप्सिड्स और दूसरे आर्चोसॉरस जिसमें स्तनपायी जीवों और पक्षियों के पूर्वज शामिल थे. जीवाश्म विज्ञानियों ने खून के गर्म होने के संकेत पाए हैं. इस विशेषता को एंडोथर्मी कहा जाता है जो कि ट्रियासिक दौर के बचे हुए जीवों में पाई गई. इसमें डायफग्राम और सिनापसिड्स में मूंछों के होने के प्रमाण मिले हैं.
हाल के कुछ समय में इस तरह के प्रमाण मिले हैं कि डायनासोर और पक्षियों में पंख जल्दी आने के प्रमाण सामने आए हैं. ट्रियासिक काल के ही इन जीवों की हड्डियों के अध्ययन से पता चला है कि इनका खून गर्म रहता था. वहीं इस बात लंबे समय से संदेह जताया रहा था कि स्तनपायी जीवों के पूर्वजों के बाल ट्रियासिक काल में ही आने लगे थे, लेकिन आर्चोसॉर्स में 25 करोड़ साल पहले पंख होने की बात नई है.
पहले भी मिले थे इस तरह के प्रमाण
इसी काल में इन जीवों का गर्म खून होने की बात के प्रमाण साल 2009 में भी मिले थे. तब शोधकर्ताओं ने पाया था कि पर्मियन-ट्रियासिक के बीच की समय सीमा में सभी मध्यम और बड़े आकार के टेट्रापॉड्स रेंग कर चलने वाले ये जीव सीधे हो कर चलने लगे थे. उस अध्ययन के शोधकर्ताओं को यह देख कर हैरानी हुई थी यह बदलाव धीरे-धीरे न होकर अचानक हुआ था.
प्रोफेसर बेनटोन कहते हैं कि आज के युग में उभयचर और सरीसृप ही रेंग कर चलते हैं, जबकि स्तन पायी जीव सीधे रहते हैं जहां उनके पैर उनके बाकी शरीर के नीचे होते हैं. इससे उन्हें तेज दौड़ने में मदद मिलती है. गर्म खून और सीधा शरीर होने के कई फायदे हैं, लेकिन इसके लिए इन जीवों को खाना बहुत पड़ता है क्योंकि इसके लिए उन्हें अंदर का तापमान बनाए रखने के लिए बहुत ऊर्जा की जरूरत होती है.