विज्ञान

...तो पूरी दुनिया में मच जाता तहलका, अंतरिक्ष से आई चौंकाने वाली खबर

jantaserishta.com
25 Aug 2023 12:40 PM GMT
...तो पूरी दुनिया में मच जाता तहलका, अंतरिक्ष से आई चौंकाने वाली खबर
x
नासा ने इसकी पुष्टि भी की है.
वॉशिंगटन: 24 अगस्त 2023 को अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (International Space Station- ISS) बाल-बाल बचा है. उसकी तरफ भारी मात्रा में अंतरिक्ष का कचरा आ रहा था. वह भी तेज गति से. इससे बचने के लिए स्पेस स्टेशन में लगे रूसी मॉड्यूल के इंजन और थ्रस्टर्स को 21.5 सेकेंड के लिए ऑन किया गया. नासा ने इसकी पुष्टि भी की है.
नासा ने अपने ईमेल में लिखा है कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन Zveda सर्विस मॉड्यूल के इंजन को 21.5 सेकेंड्स के लिए ऑन किया गया था. ताकि पूरे स्पेस स्टेशन को उसकी ऑर्बिट में आ रहे कचरे से बचाया जा सके. स्पेस स्टेशन को करीब 1640 फीट नीचे गिराया गया. आमतौर पर यह 400 किलोमीटर की ऑर्बिट में चक्कर लगाता है.
1999 के बाद से अब तक स्पेस स्टेशन की दिशा और ऊंचाई में 30 बार से ज्यादा करेक्शन किए गए हैं. यानी उसे ऊपर या नीचे किया गया है. ताकि अंतरिक्ष के कचरों से बचाया जा सके. वैसे 24 साल से अंतरिक्ष में वैज्ञानिकों की प्रयोगशाला बना हुआ स्पेस स्टेशन साल 2030 में काम करना बंद कर देगा. एक साल के अंदर ही उसे प्रशांत महासागर में गिरा दिया जाएगा.
स्पेस स्टेशन की जिंदगी अब सिर्फ 7 साल बची है. बची क्या है... बस उसे चलाया जा रहा है. नासा ने पिछले साल घोषणा की थी कि यह स्पेस स्टेशन 8 साल बाद काम करना बंद कर देगा. 2030 में यहां से एस्ट्रोनॉट्स चले आएंगे. साल 2031 तक यह प्रशांत महासागर के किसी सुदूर निर्जन इलाके में गिरा दिया जाएगा.
साल 1998 में इसे लॉन्च किया गया था. तब से लेकर यह हर दिन धरती के 16 चक्कर लगाता है. दिसंबर 2020 तक यह कुल मिलाकर 131, 440 चक्कर लगा चुका है. चक्कर लगाने की गति भी बहुत भयानक है. यह एक सेकेंड में 7.66 किलोमीटर की दूरी तय करता है. यानी 27,600 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार. 4.44 लाख किलोग्राम वजनी स्पेस स्टेशन की चौड़ाई 357.5 फीट और लंबाई 239.4 फीट है.
NASA का प्लान है कि वह इसे जनवरी 2031 में इसे प्रशांत महासागर के प्वाइंट निमो (Point Nemo) में गिराएंगे. ताकि यह जमीन से करीब 2700 किलोमीटर समुद्र में गिरे. यहीं पर उसकी कब्र बनेगी. यह जगह पुरानी स्पेस स्टेशन, पुरानी सैटेलाइट्स और अन्य अंतरिक्षीय कचरे के लिए ही निर्धारित की गई है.
प्वाइंट निमो के आसपास किसी जहाज का आना-जाना वर्जित है. न हवा में न पानी में. आसपास कोई रहने लायक स्थान नहीं है. यहां पर किसी तरह की इंसानी गतिविधि नहीं होती. यहां से कोई भी इंसानी सभ्यता कम से कम 2700 किलोमीटर की दूरी पर ही मिलती है.
गिराने से पहले ISS से सारी काम की चीजों को हटाया जाएगा. उन्हें प्राइवेट सेक्टर के स्पेस स्टेशन पर ले जाया जाएगा. यह काम स्पेस स्टेशन के गिरने तक जारी रहेगा. इस काम में करीब 1.3 बिलियन डॉलर्स यानी 97,116,630,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा.
अमेरिकन फुटबॉल फील्ड के आकार का ISS हर डेढ़ घंटे में धरती का एक चक्कर लगाता है. यह नवंबर 2000 से लगातार एस्ट्रोनॉट्स का घर बना हुआ है. यहां पर हमेशा 7 से 8 एस्ट्रोनॉट्स रहते हैं. असल में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को सिर्फ 15 साल काम करने के लिए ही बनाया गया था. लेकिन जांच-पड़ताल के बाद पता चला कि अभी यह कुछ साल और काम कर सकता है.
अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन को बनाने में और उसपर अभी काम करने वाले देशों में अमेरिका, रूस, जापान, कनाडा, ब्राजील, यूके, स्विट्जरलैंड, स्वीडन, स्पेन, नॉर्वे, नीदरलैंड्स, इटली, जर्मनी, फ्रांस, डेनमार्क और बेल्जियम शामिल हैं. दिसंबर 2021 तक 19 देशों के करीब 251 एस्ट्रोनॉट्स यहां जा चुके हैं. रह चुके हैं. अमेरिका से सबसे ज्यादा 155 एस्ट्रोनॉट्स, रूस से 52, जापान से 11, कनाडा से 8, इटली से 5, फ्रांस-जर्मनी से चार-चार और बाकी देशों से एक-एक एस्ट्रोनॉट स्पेस स्टेशन की यात्रा कर चुके हैं. इसमें मलेशिया, साउथ अफ्रीका, साउथ कोरिया, संयुक्त अरब अमीरात, ग्रेट ब्रिटेन, कजाकिस्तान जैसे देश भी शामिल हैं.
Next Story