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आपका बच्चा भी है पढ़ने कमजोर, तो बसंत पंचमी के दिन अपनाए ये उपाय
बसंत पंचमी का दिन विद्या, ज्ञान, संगीत,और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है। बसंत पंचमी को श्री पंचमी और सरस्वती पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। लोग ज्ञान के साथ खुद को प्रबुद्ध करने और अज्ञानता से छुटकारा पाने के लिए देवी सरस्वती की पूजा करते हैं। बच्चों की शिक्षा शुरू करने के इस अनुष्ठान को अक्षर-अभ्यासम या विद्या-आरंभम के नाम से जाना जाता है, जो बसनी पंचमी के प्रसिद्ध अनुष्ठानों में से एक है। बसंत पंचमी को मां सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस बार बसंत पंचमी का पर्व 5 फरवरी, शनिवार को मनाया जाएगा। शास्त्रों की मानें तो माता सरस्वती हाथ में वीणा, पुस्तक और माला लिए हुए वरद मुद्रा में श्वेत कमल पर विराजमान होकर प्रकट हुई थीं। मान्यता है कि उनकी वीणा की मधुर धुन के कारण ही सृष्टि के समस्त जीव जन्तु को वाणी की प्राप्ति हुई। तभी से देवी सरस्वती को ज्ञान, विद्या, वाणी संगीत और कला की अधिष्ठात्री देवी कहा जाने लगा।
यदि आपके बच्चे को बोलने में समस्या है यानि उसकी वाणी स्पष्ट नहीं है या थोड़ा रुक कर बोलता है तो बसंत पंचमी के दिन उसकी जिह्वा पर चांदी की सलाई या पेन की नोक से केसर द्वारा ऊं ह्रीं श्री सरस्वत्यै नमः' मंत्र लिख दें। बच्चा वाणी दोष से मुक्त हो जाएगा और उसकी भाषा भी स्पष्ट हो जाएगी।
अगर आपका बच्चा पढ़ाई से जी चुराता है या उसका मन पढ़ाई में नहीं लगता तो बसंत पंचमी के दिन अपने बच्चे के हाथ से हरे रंग के फल अर्पित करवाएं। अगर विद्यार्थी का मन पढ़ाई में नहीं लगता है तो उन्हें मां सरस्वती के मूल मंत्र ॐ ऎं सरस्वत्यै ऎं नमः का जाप करना चाहिए। इसके अलावा माता सरस्वती का एक चित्र बच्चे के स्टडी रूम में स्टडी टेबल के पास लगाएं।