धर्म-अध्यात्म

हनुमानजी के लंकादहन की यह कहानी शायद ही जानते होंगे आप

Kiran
30 Jun 2023 12:08 PM GMT
हनुमानजी के लंकादहन की यह कहानी शायद ही जानते होंगे आप
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रामयण में लंका दहन के बारे में तो यह सभी जानते हैं कि हनुमान जी सीता माता को ढूंढने जब लंका जाते हैं तो रावण द्वारा उनकी पूँछ में आग लगा दी जाती हैं जिससे वे पूरी लंका को जला डालते हैं। लेकिन इसके अलावा पुराणों में इससे जुड़ी एक अन्य कहानी भी हैं जो शिव-पार्वती और रावण से जुड़ी हैं जिसके बारे में आप शायद ही जानते होंगे। तो आइये आज हम बताते हैं आपको इस अनसुनी पौराणिक कहानी के बारे में।
दरअसल, हनुमानजी शिव अवतार हैं। शिव से ही जुड़ा है यह रोचक प्रसंग। एक बार माता पार्वती की इच्छा पर शिव ने कुबेर से सोने का सुंदर महल का निर्माण करवाया किंतु रावण इस महल की सुंदरता पर मोहित हो गया और वह ब्राह्मण का वेश रखकर शिव के पास गया। उसने महल में प्रवेश के लिए शिव-पार्वती से पूजा कराकर दक्षिणा के रूप में वह महल ही मांग लिया। भक्त को पहचान शिव ने प्रसन्न होकर वह महल दान में दे दिया।
दान में महल प्राप्त करने के बाद रावण के मन में विचार आया कि यह महल असल में माता पार्वती के कहने पर बनाया गया इसलिए उनकी सहमति के बिना यह शुभ नहीं होगा। तब उसने शिवजी से माता पार्वती को भी मांग लिया और भोले-भंडारी शिव ने इसे भी स्वीकार कर लिया। जब रावण उस सोने के महल सहित मां पार्वती को ले जाना लगा तब अचंभित और दु:खी माता पार्वती ने विष्णु का स्मरण किया और उन्होंने आकर माता की रक्षा की।
जब माता पार्वती अप्रसन्न हो गईं, तो शिव ने अपनी गलती को मानते हुए मां पार्वती को वचन दिया कि त्रेतायुग में मैं वानर रूप में हनुमान का अवतार लूंगा, उस समय तुम मेरी पूंछ बन जाना। जब मैं माता सीता की खोज में इसी सोने के महल यानी लंका जाऊंगा तो तुम पूंछ के रूप में लंका को आग लगाकर रावण को दंडित करना। यही प्रसंग भी शिव के श्री हनुमान अवतार और लंकादहन का एक कारण माना जाता है।
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