धर्म-अध्यात्म

पुखराज पहनने का नहीं मिलेगा फायदा जब तक नहीं करेंगे ये एक काम

Subhi
12 Jun 2022 3:20 AM GMT
पुखराज पहनने का नहीं मिलेगा फायदा जब तक नहीं करेंगे ये एक काम
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कुंडली में देवगुरु बृहस्पति को मजबूत करने के लिए पुखराज रत्न धारण कराया जाता है ताकि देवगुरु बृहस्पति प्रसन्न हो कर उचित फल दें और व्यक्ति के जीवन के संकट दूर हों.

कुंडली में देवगुरु बृहस्पति को मजबूत करने के लिए पुखराज रत्न धारण कराया जाता है ताकि देवगुरु बृहस्पति प्रसन्न हो कर उचित फल दें और व्यक्ति के जीवन के संकट दूर हों. पुखराज धारण करने के बाद भी यदि व्यक्ति उससे संबंधित रिश्ते का सम्मान नहीं करता है तो उसे पुखराज का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है. आइए लेख में जानते हैं कि पुखराज किस रिश्ते को रिप्रजेंट करता है.

पहले गुरु होते हैं माता पिता

यूं तो बच्चा जब स्कूल में पढ़ने जाता है तभी वह गुरु यानी शिक्षक-शिक्षिका के सानिध्य में आता है किंतु जब तक वह स्कूल नहीं जाता है तब तक बच्चे के गुरु उसके माता पिता ही होते हैं. चूंकि बच्चा मां के सानिध्य में अधिक रहता है इसलिए कहा भी जाता है कि प्रथम गुरु मां होती हैं. मां से ही उसे संस्कार सीखने को मिलते हैं जो उसके जीवन भर काम आते हैं.

गुरु की सेवा करने से मिलता है पूर्ण फल

जब बच्‍चा स्कूल में पढ़ने के लिए जाता है तब ही वह गुरु से मिलता है. रत्नों का पूरा लाभ पाने के लिए जरूरी होता है कि उसस संबंधित वह जीव या रिश्‍ता आपसे प्रसन्न रहे. अब पुखराज धारण करने वालों को गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करना है तो उनकी सेवा करनी होगी. उन्हें प्रसन्न करना अति आवश्यक है. पुखराज का पूर्ण लाभ लेने के लिए गुरु को प्रसन्न करना सबसे अधिक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली होता है.

पुराने समय में तो शिष्य की पहचान ही गुरु से होती थी और जब पता लगता था कि फलां व्यक्ति ने फलां गुरु से शिक्षा प्राप्त की है तो उसकी योग्यता के बारे में कोई संदेह नहीं रह जाता था. जैसा प्रभु श्री राम और श्री कृष्ण जी के जीवन में दिखता है. अब गुरुकुल व्यवस्था न होने पर स्कूल में शिक्षा देने वाला अध्यापक ही गुरु होता है. गुरु की सेवा करने का अवसर मिले तो कभी छोड़ना भी नहीं चाहिए. ऐसा करने से पुखराज का पूरा फल मिलेगा.

गुरु का कभी भी मजाक न उड़ाएं

पुखराज का पूर्ण फल और गुरु की कृपा पाने के लिए एक बात अभिभावकों को भी ध्यान में रखना चाहिए, अक्सर देखा जाता है कि बच्चा स्कूल या कॉलेज से घर आने पर अपने शिक्षक की आलोचना करने लगता है और माता पिता भी उसमें रुचि ले कर अप्रत्यक्ष रूप से बच्चे का उत्साह बढ़ाने का काम करते हैं. यदि कभी ऐसा हो तो भी बच्चे को प्यार से समझाना चाहिए कि गुरु की बुराई न करें, उनका उपहास नहीं उड़ाएं. यदि बच्चा गुरु का मजाक उड़ाएगा, उनका सम्मान नहीं करेगा तो वह कुपित हो जाएंगे.

बुजुर्ग व्यक्ति भी करते हैं गुरु को रिप्रजेंट

यदि किन्हीं कारणों से आपको गुरु नहीं मिल पा रहे हैं और पुखराज को एक्टिव करना है तो आप सड़क चलते किसी बुजुर्ग की मदद कर सकते हैं. यदि आप कहीं नौकरी करते हैं तो आपके ऑफिस में जो आपसे अधिक आयु के वरिष्ठजन हों उनके प्रति सम्मान व्यक्त करें. गाय भी गुरु का प्रतिनिधित्व करती है इसलिए गाय की सेवा करें, किसी गौशाला में जाकर गाय के चारे का प्रबंध करें.

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