धर्म-अध्यात्म

मंगलवार के इन उपायों से मिलेगी क़र्ज़ से निजात

jantaserishta.com
28 Nov 2023 1:02 PM GMT
मंगलवार के इन उपायों से मिलेगी क़र्ज़ से निजात
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ज्योतिष न्यूज़ : हिंदू धर्म में हर दिन कोई न कोई देवी या देवता के समर्पित होता है और मंगलवार को हनुमान जी को समर्पित किया गया है। हनुमान जी को मान्यता है वे पवनपुत्र हैं, अर्थात् पवन कुमार, और उन्हें भक्ति, शक्ति, और साहस के प्रतीक के रूप में माना जाता है।

मंगलवार को हनुमान जी की पूजा और व्रत बड़े ही श्रद्धा और भक्ति से किया जाता है। भक्त इस दिन श्री हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, वानर आरती, और अन्य हनुमान जी के स्तोत्र व भजनों का पाठ करते हैं। वह उनकी पूजा-अर्चना करते हैं और उनके चरणों में प्रणाम करते हैं। इसके अलावा, कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं और केवल सफलता, सुरक्षा, और आशीर्वाद के लिए हनुमान जी की कृपा की प्रार्थना करते हैं।

लेकिन इसी के साथ अगर आज के दिन भगवान हनुमान की स्वीकृत पूजा के साथ उनकी प्रतिमा के साथ ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ शिष्य मन से किया जाए तो कर्ज जैसी बड़ी समस्या से मुक्ति मिल जाती है और धन प्राप्ति के योग बन जाते हैं। आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का संपूर्ण पाठ।

ऋणमोचन मंगल स्तोत्र।।

”माङ्ग्लो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।

स्थिरसनो महाकायः सर्वकर्मविरोधकः।।

लोहितो लोहिताक्षश्च समागानं कृपाकरः।

धर्मात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः।।

अंगारको यमश्चैव सर्वरोगोपहारकः।

वृष्तेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदाः।

एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।

ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्।।

धरणीगर्भसंभूतं विद्युतकांतिसमप्रभम्।

कुमारं शक्तिहस्तं च मंगलं प्रणमाम्यहम्।।

स्तोत्रमङ्गार्कस्यैत्पठानीयं सदा नृभिः।

न तेषां भौमजा पीड़ा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्।।

अंगारक महाभाग भगवानभक्तवत्सल।

त्वं नमामि ममशेषमृणमाशु विनाशय:।

ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्युवः।

भयक्लेशमनस्तपा नश्यन्तु मम सर्वदा।।

अतिवक्त्र दुर्रार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः।

तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।

विरिञ्चश्चक्रविष्णुनां मनुष्याणां तु का कथा।

तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः।।

पुत्रन्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः।

ऋणाद्रिद्रयदुःखेन शत्रुणां च भयात्ततः।।

एभिर्द्वदशाभिः श्लोकैर्यः स्तुति च धरसुतम।

महतिं श्रीयमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा।”

इति श्री ऋणमोचक मङ्गलस्तोत्रम् संपूर्णम्।।

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