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हिंदी पंचांग के अश्विन मास का कृष्ण पक्ष पितृ पक्ष के रूप में जाना जाता है। इस साल पितर पक्ष 21 सितंबर, दिन मंगलवार से शुरू होकर 06 अक्टूबर तक रहेगा।
हिंदी पंचांग के अश्विन मास का कृष्ण पक्ष पितृ पक्ष के रूप में जाना जाता है। इस साल पितर पक्ष 21 सितंबर, दिन मंगलवार से शुरू होकर 06 अक्टूबर तक रहेगा। पितर पक्ष में विशेष रूप पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए श्राद्घ और तर्पण करने का विधान है। मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज इस काल में मृत आत्माओं यानि पितरों को अपने स्वजनों से मिलने के लिए मुक्त करती हैं। इसलिए इस काल में पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए। इसके साथ पितर पक्ष में तर्पण करने वाले व्यक्ति और बाकी परिजनों को भी कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए, आइए जानते हैं उनके बारे में...
1. जो व्यक्ति पितर पक्ष में तर्पण करते हैं, उन्हें ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए तथा केवल सात्विक भोजन कर चाहिए।
2. पितर पक्ष में स्नान के समय साबुन,शैम्पू,इत्र और तेल आदि का प्रयोग नहीं किया जाता है
3. पितर पक्ष में नये कपड़े, गहने या श्रृगांर का समान आदि खरीदना अशुभ माना जाता है।
4. पितृपक्ष के समय कोई भी मांगलिक या धार्मिक कार्य जैसे, गृह प्रवेश, शादी, मुंडन, 16 संस्कार वर्जित रहते हैं।
5. रात्रि एवं संध्या के समय भूलकर भी श्राद्धकर्म नहीं करना चाहिए। श्राद्ध के लिए दोपहर का कुतुप या रोहिणी मुहूर्त उत्तम माना गया है।
6.पितरों का तर्पण करने के लिए पानी में दूध, तिल, कुशा, पुष्प, गंध मिला लें, फिर उससे पितरों को तृप्त करें।
7. जल से तर्पण करने पर पितरों की आत्माएं तृप्त होती हैं। मान्यता है कि पितृलोक में पानी की कमी होती है, इसलिए पितृपक्ष के प्रत्येक दिन कम से कम जल से तर्पण देना चाहिए।
8.पितृपक्ष में श्राद्ध वाले दिन ब्राह्मणों को भोजन करना चाहिए और वस्त्र दान करना चाहिए। मान्यता है कि इससे पितरों को भोजन और वस्त्र प्राप्त होता है।
9. ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद उनको दक्षिणा जरूर दें। दक्षिणा देने से श्राद्ध का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
10. पितृपक्ष में पितरों के लिए प्रतिदिन भोजन निकाला जाना चाहिए। पितर पक्ष में गाय और कौए के लिए ग्रास जरूर निकालें।
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