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धर्म-अध्यात्म
Lord shiva : भगवान शिव की इन बातों को जीवन में उतार, कर सकते हैं अपना उद्धार
Kavita2
28 Jun 2024 10:48 AM GMT
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Lord shiva : हिंदू धर्म में भगवान शिव को देवाधिदेव, आदियोगी, शंकर और भोलेनाथ जैसे कई नामों से जाना जाता है। जहां भगवान शिव को संहार का देवता माना जाता है, वहीं उनका भोलेनाथ नाम दर्शाता है कि भगवान शिव केवल जल चढ़ाने मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान शिव का हर एक रूप मानव मात्र के लिए एक प्रेरणा का काम करता है।
भगवान शिव का रूप अन्य देवी-देवताओं के बिल्कुल अलग है। जहां अन्य देवी-देवता आभूषणों Other Gods and Goddesses Jewelleryसे सुशोभित, सुंदर-सुंदर वस्त्र पहने नजर आते हैं, वहीं देवो के देव होते हुए भी भगवान गले में सर्प और रुद्राक्ष की माला लपेटे रहते हैं। वे संपूर्ण देह पर भस्म लगाए रहते हैं। जो यह दर्शाता है कि महादेव किसी भी भोग विलासिता से दूर हैं। इससे यह शिक्षा ली जा सकती है कि सादा जीवन भी आपको श्रेष्ठ बना सकता है। इसके लिए किसी दिखावे की जरूरत नहीं है।
जरूर सीखें ये गुण You must learn these qualities
भगवान शिव को आदियोगी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव योग lord shiva yoga के सबसे पहले गुरु हैं। ऐसे में भगवान शिव से ये गुण भी सीखना चाहिए कि किस प्रकार योग और ध्यान द्वारा अपनी सीमाओं से पार जाकर अपनी अंतिम क्षमता तक पहुंचा जा सकता है। योग न केवल आंतरिक चेतना को जगाने का एक माध्यम है, बल्कि स्वस्थ रहने का भी एक बेहतर विकल्प है।
हर परिस्थिति में रहे आगे Stay ahead in every situation
ऐसी कई पौराणिक कथाएं मिलती है, जिसमें यह दर्शाया गया है कि भगवान शिव हर चुनौती के लिए तैयार रहते थे। जब समुद्र मंथन के दौरान विष की उत्पत्ति हुई, तब भगवान शिव ने ही उनका पान किया, ताकि समस्त संसार को उसके प्रकोप से बचाया जा सके।
वहीं, जब गंगा माता को नदी के रूप में धरती पर उतारने का उपक्रम हुआ, तब भी भगवान शिव Lord Shiva ने ही उन्हें अपनी जटाओं में धारण किया। क्योंकि धरती में गंगा के वेग को वहन करने की क्षमता नहीं थी। इससे यह सीख मिलती है कि मुश्किल परिस्थितियों से भागने के बजाय मनुष्य को उनका डटकर सामना करना चाहिए।
भगवान शिव को अर्द्धनारीश्वर Ardhanarishvara के नाम से भी जाना जाता है। भगवान शिव के इस रूप में आधे हिस्से में पुरुष रुपी शिव का वास है, तो वहीं, आधे हिस्से में स्त्री रुपी शिवा यानि शक्ति का वास है। इस रूप से व्यक्ति को प्रेरणा लेनी चाहिए कि स्त्री और पुरुष दोनों ही एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। इसलिए दोनों का सम्मान जरूरी है।
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