धर्म-अध्यात्म

आप भी संक्षिप्त रूप से पढ़ें अनुगीता के बारे में

Bharti sahu
5 Feb 2021 2:00 PM GMT
आप भी संक्षिप्त रूप से पढ़ें अनुगीता के बारे में
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भगवद्गीता के बारे में हम सभी ने सुना होगा। लेकिन क्या आपने कभी अनु गीता के बारे में सुना है?

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | भगवद्गीता के बारे में हम सभी ने सुना होगा। लेकिन क्या आपने कभी अनु गीता के बारे में सुना है? हो सकता है आप में से कई लोगों ने इसके बारे में सुना हो। लेकिन अगर आप अनुगीता के बारे में नहीं जानते हैं तो यहां हम आपको इस गीता के बारे में बता रहे हैं। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण के तीसरे गुरु घोर अंगिरस थे और उन्होंने ही श्रीकृष्ण को उपदेश दिया था।छांदोग्य उपनिषद के अनुसार, कृष्ण जी ने अपने गुरु घोर अंगिरस से ज्ञान अर्जित किया था जिसके बाद फिर कुछ भी ज्ञातव्य नहीं रह जाता है। इस उपदेश को श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र में दिया। यह गीता के नाम से प्रसिद्ध हुआ। लेकिन श्रीकृष्‍ण ने अर्जुन को गीता के अलावा और भी कई उपदेश दिए थे। इसी को अनु गीता के नाम से जाना जाता है।

अनुगीता का ज्ञान श्रीकृष्ण ने पांडवों को तब दिया था जब वो युद्ध जीत गए थे। ऐसे में अनुगीता वह ज्ञान है जिसे युद्ध जीतने के बाद हस्तीनापुर पर राज करने के दौरान दिया गया था। यह एक प्राचीन संस्कृत ग्रंथ है। यह भी महाभारत का हिस्सा है। अनुगीता का शाब्दिक अर्थ गीता का अनु अर्थात गीता के परिशिष्ट के रूप में गीता है।मान्यता है कि जो प्रश्न, संदेश और बातें गीता में छूट गए थे उनका उल्लेख अनुगीता में देखा जा सकता है। यह गीता वैशम्पायनजी जनमेजय को बताते हैं। इन्होंने अर्जुन और श्रीकृष्ण को सुनकर याद किया था। इसमें महाभारत के कई विवादों और संवादों का उल्लेख मिलता है।अनुगीता को केवल एक संवाद के रूप में ही नहीं जो अर्जुन और श्रीकृष्‍ण के बीच हुआ था, जाना जाता है बल्कि इसमें श्रीकृष्‍ण वसुदेव को महाभारत का प्रसंग और घटनाक्रम भी बता रहे हैं। इस गीता में केवल उपदेश ही नहीं बल्कि और भी बहुत कुछ है।

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