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आप भी खरीद रहे हैं नया घर, तो वास्तु शास्त्र की इन बातों का रखें खास ध्यान

Subhi
29 Jan 2022 2:14 AM GMT
आप भी खरीद रहे हैं नया घर, तो वास्तु शास्त्र की इन बातों का रखें खास ध्यान
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घर या फ्लैट खरीदते समय वास्तु शास्त्र काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इन दिनों वास्तु पर विचार करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि लेआउट, दिशाओं में कभी-कभी वास्तु का अभाव होता है।

घर या फ्लैट खरीदते समय वास्तु शास्त्र काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इन दिनों वास्तु पर विचार करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि लेआउट, दिशाओं में कभी-कभी वास्तु का अभाव होता है। दरअसल विशेष व्यक्ति वर्ग के बीच एक बुनियादी धारणा है कि अपार्टमेंट के लिए वास्तु पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन वास्तविकता यह है कि किसी भी स्थान के लिए वास्तु का पालन किया जाना चाहिए चाहे वह एक स्वतंत्र घर हो या एक फ्लैट। सार्वजनिक सुरक्षा के लिए कुछ दशानिर्देश बनाए गए हैं। उदाहरण के लिए पूर्व मुखी घर में दो द्वार होने चाहिए, एक को पूर्व दिशा के उत्तर कोने में और दूसरा द्वार पूर्व दिशा के दक्षिण कोने में या निर्देशों के अनुसार हो सकता है। दरअसल वास्तु दोष के कारण नए घर या फ्लैट आपके लिए समस्या पैदा कर सकते हैं। उनसे आपको सेहत, नौकरी, करियर आदि में कई परेशानी हो सकती है। इस वजह से ही लोग जब घर या फ्लैट खरीदते हैं, तो उसमें वास्तु के कुछ नियमों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। आइए जानते हैं कि नए घर या फ्लैट को खरीदते समय किन वास्तु नियमों को ध्यान में रखना चाहिए।

मुख्य द्वार का रखें विशेष ध्यान

यदि आप एक अपार्टमेंट खरीद रहे हैं, तो ब्लॉक के प्रवेश द्वार को उसका मुख्य द्वार माना जाएगा। प्रवेश द्वार उत्तर या उत्तर पूर्व में होना चाहिए। भवन के चारों ओर पर्याप्त खुली जगह होनी चाहिए। आपके घर या फ्लैट के मुख्य द्वार के ठीक सामने लिफ्ट, कोई दीवार या बड़ा पेड़ आदि न हो। यदि ऐसा है, तो इससे वास्तु दोष उत्पन्न होता है।

सूरज की रोशनी और क्रॉस वेंटिलेशन

वास्तु में उचित प्राकृतिक प्रकाश और वेंटिलेशन का बहुत महत्व है, इसलिए सुनिश्चित करें कि घर में पर्याप्त धूप आ रही हो और घर में अच्छा क्रॉस वेंटिलेशन हो। इन दोनों दिशाओं में से किसी एक में खिड़कियों और बालकनी के साथ उत्तर या पूर्व की ओर वाला फ्लैटआदर्श माना जाता है। सुबह की धूप सकारात्मकता लाती है जबकि दोपहर की अवरक्त किरणें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं, इसलिए यदि कोई खिड़की दक्षिण या पश्चिम में है तो यह वास्तु दोष के अंतर्गत आती हैं। ऐसा घर लेने से बचना चाहिए।

फ्लैट या घर की दीवार दूसरे घर से जुड़ी न हो

दक्षिण या दक्षिण-पश्चिमी दीवार पर खिड़कियां आकार में छोटी होनी चाहिए। वास्तु के अनुसार घर में पड़ोसी के घर के साथ दीवार जुड़ी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे मिश्रित ऊर्जा पैदा होती है, इसलिए भवन के चारों तरफ खुली जगह छोड़नी चाहिए। चूंकि उत्तर और पूर्व में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव है, इसलिए भवन के उत्तर और पूर्व की ओर दक्षिण और पश्चिम की ओर की तुलना में अधिक खुली जगह छोड़नी चाहिए।

उत्तर-पूर्व में रसोईघर नहीं होना चाहिए

आपको ऐसा फ्लैट खरीदने से बचना चाहिए जिसमें उत्तर-पूर्व में किचन हो। चूंकि इमारत का यह हिस्सा सुबह के सूरज का स्वागत करता है इसलिए यह रहने वाले कमरे या ध्यान कक्ष के लिए उपयुक्त है। दक्षिण-पूर्व की दिशा रसोई के लिए आदर्श स्थान है।

वॉटर स्टोरेज टैंक की दिशा भी है जरूरी

बहुमंजिली इमारत में छत के उत्तर-पूर्वी कोने में पानी की टंकी रखनी चाहिए। सुबह-सुबह सूर्य की किरणें पराबैंगनी किरणों से भरपूर होती हैं जो पानी को शुद्ध करने में मदद करती हैं। घर की छत पर प्लास्टिक की टंकी नहीं होनी चाहिए और यदि हा तो वो गहरे रंग की होनी चाहिए।

शौचालय और स्नानघर उत्तर पूर्व में नहीं होना चाहिए

प्रत्येक फ्लैट में शौचालय और स्नानघर दक्षिण-पश्चिम कोने में या दक्षिण दिशा में बनाए जाने चाहिए। हवा की दिशा उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर होती है। यदि शौचालय उत्तर पूर्व में है तो नकारात्मक ऊर्जा का घर में प्रवेश होगा

बच्चों के कमरे की दिशा

वास्तु के अनुसार बच्चों का कमरा उत्तर-पूर्व या उत्तर पश्चिम दिशा पर हों चाहिए। बच्चों के कमरे की खिड़की उत्तर की दीवार पर होनी चाहिए। इससे कमरे में पर्याप्त प्राकृतिक प्रकाश आएगा। यदि बच्चों का कमरा उत्तर-पूर्व या उत्तर पश्चिम दिशा पर होने से उनका मन पढ़ाई में लगा रहता है और ध्यान भी एकाग्र रहेगा।


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