धर्म-अध्यात्म

आप भी पढ़े शनिदेव की साढ़े साती पौराणिक कथा

Ritisha Jaiswal
25 March 2021 1:35 PM GMT
आप भी पढ़े शनिदेव की साढ़े साती पौराणिक कथा
x
ज्जैन के प्रतापी राजा विक्रमादित्य पर भी शनिदेव की साढ़े साती प्रारंभ हुई तो वे विपत्ति में घिर गए

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | ज्जैन के प्रतापी शनिदेव की साढ़े सातीराजा विक्रमादित्य पर भी शनिदेव की साढ़े साती प्रारंभ हुई तो वे विपत्ति में घिर गए. पौराणिक कथाओं के अनुसार घोड़े की सवारी के दौरान घोड़ा उन्हें घने जंगल में गिरा कर भाग गया उन्हें चोट लग गई. घायल राजा भूखे प्यासे भटकते रहे, तब एक ग्वाले ने उन्हें पानी पिलाया.

राजा विक्रमादित्य नगर को चल दिए और खुद का नाम पहचान छिपाकर ठहरने की व्यवस्था देखने लगे. अपना नाम वीका बताया. वहां वे एक सेठ की दुकान पर रुके. उस दिन सेठ की अच्छी बिक्री हुई. सेठ खुश होकर उन्हें अपने घर ले गया. वहां खूंटी पर एक हार टंगा था जिसे खूंटी ही निगल गयी. सेठ ने वीका को चोर समझा और कोतवाल को पकड़वा दिया. वहां राजा ने भी उसे चोर समझ कर कठोर सजा दे दी. वीका को नगर के बाहर फिंकवा दिया. वहाँ वीका को एक तेल पिरोने वाला मिला. उसने उसे तेल पेरने के कोल्हू में चलाने बिठा दिया घायल राजा किसी तरह हांकने में जुुट गया

कुछ दिनों बाद राजा विक्रमादित्य की शनि दशा समाप्त हो गयी तो वीका मल्हार गाने लगा. वीका का गाना राजकुमारी मनभावनी को गाना बहुत पसंद आया उसने उस गाने वाले से ही विवाह करने का प्रण लिया. गाने वाले की खोज हुई. वीका को खोजकर उससे राजकुमारी का विवाह कर दिया गया.
राजा को पता चला कि उसकी इस दुर्गति का कारण शनिदेव की दृष्टि है. उन्होंने शनिदेव की भक्तिभाव से पूजा की. गरीबों को खाना खिलाया. साथ ही चींटियों आदि को आटा डाला
सुबह शनिदेव की कृपा से घायल राजा पूर्ण स्वस्थ हो गए. वीका ने राजकुमारी को बताया कि वे उज्जैन का राजा विक्रमादित्य हैं. सभी अत्यंत प्रसन्न हुए. सेठ ने जब सुना तो उसने भी क्षमा मांगी और अपनी कन्या श्रीकंवरी का विवाह उनसे कर दिया. इधर शनिदेव की कृपा से उस खूंटी ने फिर से हार उगल दिया. कुछ समय पश्चात राजा अपनी दोनों रानियों सहित उज्जैन नगरी पहुंचे वहां उनका स्वागत हुआ और नगर में दीपावली मनाई गई.


Next Story