धर्म-अध्यात्म

समस्त पापों से मुक्ति दिलाता है योगिनी एकादशी का व्रत, जानिए नियम

Tara Tandi
8 Jun 2023 10:33 AM GMT
समस्त पापों से मुक्ति दिलाता है योगिनी एकादशी का व्रत, जानिए नियम
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सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार मनाए जाते हैं लेकिन इन सभी में एकादशी व्रत को बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि भगवान विष्णु की पूजा को समर्पित होता हैं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी की तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु की प्रिय तिथियों में से एक हैं इस दिन व्रत पूजन करने से प्रभु की अपार कृपा मिलती हैं और सभी कष्टों का निवारण हो जाता हैं एकादशी का व्रत वैसे तो हर माह में दो बार पड़ता हैं लेकिन अभी आषाढ़ का महीना चल रहा हैं और इस माह पड़ने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जा रहा हैं।
जो कि इस साल 14 जून ​को पड़ रही हैं इस दिन व्रत रखने से 88 हजार ब्राह्माणों को भोजन कराने जितना पुण्य प्राप्त होता है साथ ही साथ मृत्यु के बाद मोक्ष की भी प्राप्ति होती हैं। लेकिन इसी भी व्रत को करने से पहले उसके नियम का पता होना बेहद जरूरी होता हैं मान्यता है कि योगिनी एकादशी व्रत के दिन अगर नियमों का पालन करते हुए पूजा पाठ और व्रत किया जाए तो व्रत पूजन का पूर्ण फल मिलता है साथ ही श्री हरि की कृपा सदा बनी रहती हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा योगिनी एकादशी व्रत के नियम बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
एकादशी व्रत के नियम—
एकादशी के दिन अगर आपने उपवास रखा हैं तो इस दिन किसी भी प्रकार से अन्न् का सेवन ना करें इसे वर्जित माना गया है इसलिए दशमी तिथि को सूर्यास्त के बाद भोजन न करें जिससे अगले दिन पेट में अन्न का एक भी अंश ना रहें। इसके अलावा जो लोग एकादशी के दिन उपवास नहीं करते हैं उन्हें भी इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि एकादशी तिथि पर चावल का सेवन वर्जित माना गया हैं।
योगिनी एकादशी के अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर भगवान विष्णु को भोग लगाने और गरीबों को भोजन कराने के बाद ही व्रत का पारण करें। आपको बता दें कि एकादशी व्रत का पारण हरि वासर समाप्त होने के बाद व द्वादशी समाप्त होने से पहले करन लेना उत्तम माना जाता हैं। इसके अलावा अगर द्वादशी समाप्त होने के बाद कोई एकादशी व्रत का पारण करता है तो इसे पाप माना जाता हैं।
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