धर्म-अध्यात्म

Krishna Pingal Sankashti Chaturthi की पूजा से जीवन में आ रही बाधाये होगी दूर

Tara Tandi
25 Jun 2024 8:55 AM GMT
Krishna Pingal Sankashti Chaturthi  की पूजा  से जीवन में आ रही बाधाये होगी दूर
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Krishna Pingal Sankashti Chaturthi ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन संकष्टी चतुर्थी को खास माना गया है जो कि गणपति की साधना आराधना को समर्पित है इस दिन भक्त भगवान श्री गणेश की विधिवत पूजा करते हैं और दिनभर उपवास भी रखते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु की असीम कृपा बरसती है पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूजन किया जाता है जो कि इस बार 25 जून दिन मंगलवार यानी की आज मनाई जा रही है

इस दिन भक्त विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा करते हैं माना जाता है कि इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और कष्ट दूर हो जाते हैं, लेकिन अगर आप जीवन की बाधाओं से छुटकारा पाना चाहते है तो ऐसे में आप आज के दिन भगवान श्री गणेश की विधिवत पूजा करें साथ ही प्रभु की प्रिय आरती जरूर गाएं माना जाता है कि इससे भगवान शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और सभी बाधाओं को दूर कर देते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं भगवान श्री गणेश की आरती।
॥श्री गणेश जी की आरती॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती (माता पार्वती के मंत्र), पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
संकट नाशक मंत्र
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।
नौकरी प्राप्ति हेतु मंत्र
ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।
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