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धर्म-अध्यात्म
दशहरे पर शुभ मुहूर्त में पूजा करने से घर में आयेगी सकारात्मक ऊर्जा, बन रहे हैं ये तीन शुभ संयोग
Renuka Sahu
5 Oct 2022 1:07 AM GMT
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न्यूज़ क्रेडिट : lagatar.in
हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर दशहरे का पर्व मनाया जाता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर दशहरे का पर्व मनाया जाता है. दशहरा को विजयदशमी और आयुधपूजा के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू धर्म में दशहरा का खास महत्व है. इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है. आज के दिन ही भगवान राम ने लंका नरेश रावण का वध करके माता सीता को बचाया था. इस वर्ष दशहरा 5 अक्टूबर यानी बुधवार को मनाया जायेगा. हिन्दू पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 4 अक्टबूर 2022 मंगलवार को दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से शुरू होगा. जोकि अगले दिन यानी 5 अक्टूबर 2022 को दोपहर 12 बजे तक रहेगी. वहीं, विजय मुहूर्त 4 अक्टूबर दोपहर 2 बजकर 13 मिनट से 5 अक्टूबर दोपहर 3 बजे तक रहेगा.
इस साल दशहरे पर बन रहे तीन शुभ संयोग
इस वर्ष दशहरे पर तीन बेहद खास और दुर्लभ संयोग बन रहे हैं. ये तीनों शुभ योग रवि, सुकर्मा और धृति हैं. इस योग में पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ेगी. साथ ही नकारात्मक ऊर्जा का नाश होगा. इस दिन किसी भी चीज की खरीददारी करना लाभप्रद रहेगा. इस दिन घर पर लक्ष्मी सूक्त का पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से घर में लक्ष्मी का वास बना रहता है. इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है.
भगवान राम ने इसी दिन किया था रावण का वध
हिंदू मान्यता के अनुसार, रावण ने जब माता सीता के अपहरण किया था, उसके बाद रावण और प्रभु श्रीराम के बीच दस दिनों तक युद्ध चला था. अंत में आश्विन शुक्ल दशमी तिथि को भगवान राम ने रावण का अंत कर दिया. रावण की मृत्यु को असत्य पर सत्य और न्याय की जीत के उत्सव के रूप में मनाया जाता है. प्रभु राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी इसलिए यह दिन को विजया दशमी भी कहते हैं. दशहरे पर रावण का पुतला जलाकर भगवान श्रीराम की लंकापति रावण पर जीत की खुशी मनाई जाती है. यह परंपरा त्रेता युग से चली आ रही है.
मां दुर्गा ने विजय दशमी के दिन महिषासुर का किया था अंत
हिंदू धर्म के अनुसार, नवरात्र में मां दुर्गा ने 9 दिनों तक असुरों के स्वामी महिषासुर से युद्ध किया था. दशमी के दिन मां ने उस असुर का वध कर विजय प्राप्त की थी. कहा जाता है कि महिषासुर नामक इस दैत्य ने तीनों लोक में उत्पात मचाया था. देवता भी जब इस दैत्य से परेशान हो गये थे. पूरी दुनिया और देवताओं को महिषासुर से मुक्ति दिलाने के लिए देवी ने आश्विन शुक्ल दशमी तिथि को महिषासुर का अंत किया था. देवी की विजय से प्रसन्न होकर देवताओं ने विजया देवी की पूजा की और तभी से यह दिन विजया दशमी कहलाया. साथ ही इस दिन अस्त्रों की पूजा भी की जाती है. भारतीय सेना भी इस दिन शस्त्रों की पूजा करते हैं.
दशहरे के दिन ऐसे करें पूजा
दशहरा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. इसके बाद गेहूं या फिर चूने से दशहरा की प्रतिमा बनाएं. इसके बाद गाय के गोबर से नौ गोले (कंडे) बना लें. इन कंडों पर पर जौ और दही लगाएं. इस दिन बहुत से लोग भगवान राम की झांकियों पर जौ चढ़ाते हैं और कई जगह लड़के अपने कान पर जौ रखते हैं. इसके बाद गोबर से दो कटोरियां बना लें. एक कटोरी में कुछ सिक्के भर दें और दूसरी में रोली, चावल, फल, फूल, और जौ डाल दें. बनाई हुई प्रतिमा पर केले, मूली, ग्वारफली, गुड़ और चावल चढ़ाएं. इसके बाद उसके समक्ष धूप-दीप इत्यादि प्रज्वलित करें. इस दिन लोग अपने बहीखाता की भी पूजा करते हैं. ऐसे में आप अपने बहीखाते पर भी जौ, रोली इत्यादि चढ़ाएं. ब्राह्मणों और ज़रूरतमंदों को भोजन कराएं और सामर्थ्य अनुसार उन्हें दान दें.
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