धर्म-अध्यात्म

अपराजिता और शमी की पूजा करने से हर काम में मिलेगा सफलता सफलता

Ritisha Jaiswal
24 Oct 2020 10:31 AM GMT
अपराजिता और शमी की पूजा करने से हर काम में मिलेगा सफलता सफलता
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25 अक्टूबर को जीत का प्रतीक दशहरा का त्योहार मनाया जाएगा।दशमी तिथि रविवार सुबह 7 बजकर 42 मिनट से सोमवार सुबह 9 बजकर 1 मिनट तक रहेगी । पुराणों के अनुसार रावण पर भगवान श्री राम की जीत के उपलक्ष्य में विजयदशमी का ये त्योहार मनाया जाता है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | 25 अक्टूबर को जीत का प्रतीक दशहरा का त्योहार मनाया जाएगा।दशमी तिथि रविवार सुबह 7 बजकर 42 मिनट से सोमवार सुबह 9 बजकर 1 मिनट तक रहेगी । पुराणों के अनुसार रावण पर भगवान श्री राम की जीत के उपलक्ष्य में विजयदशमी का ये त्योहार मनाया जाता है। इस दिन कोई भी काम करने से उसमें जीत सुनिश्चित होती है। आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से 1 बजकर 53 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा। इस बीच आप कोई भी कार्य करके जीत सुनिश्चित कर सकते हैं। माना जाता है कि आज के दिन शास्त्र, शमी और देवी अपराजिता की पूजा जरूर करना चाहिए। इससे जीवन में खुशहाली बनी रहती है। जानिए कैसे करें पूजा।

ऐसे करें देवी अपराजिता की पूजा

दशहरा के दिन दोपहर बाद ईशान दिशा में जाकर शुद्ध, साफ भूमि पर गोबर से लीपकर चंदन से आठ कोने, यानी आठ पत्तियों वाला कमल का फूल बनाना चाहिए और संकल्प करना चाहिए- ''मम सकुटुम्बस्य क्षेमसिद्धयर्थमपराजितापूजनं करिष्ये"अगर आप ये मंत्र न पढ़ पायें, तो आपको इस प्रकार कहना चाहिए कि हे देवी ! मैं अपने परिवार के साथ अपने कार्य को सिद्ध करने के लिये और विजय पाने के लिये आपकी पूजा कर रहा हूं। इस प्रकार कहकर उस कमल की आकृति के बीच में अपराजिता का पौधा रखना चाहिए। ये तो हुई साधारण मनुष्य की बात, जबकि राजाओं को इस प्रकार संकल्प लेना चाहिए

"मम सकुटुम्बस्य यात्रायां विजय सिद्धयर्थम्"

इस तरह संकल्प करके आकृति के बीच में अपराजिता देवी का आह्वाहन करना चाहिए और उनके दाहिनी ओर जया और बायीं ओर विजया को प्रणाम करना चाहिए और कहना चाहिए- 'अपराजितायै नमः', 'जयायै नमः', 'विजयायै नमः'। इस तरह मंत्र कहते हुए उनकी षोडशोपचार, यानी 16 उपचारों के साथ पूजा करनी चाहिए और प्रार्थना करनी चाहिए- हे देवी, यथाशक्ति जो पूजा मैंने अपनी रक्षा के लिये की है, उसे स्वीकार कर आप अपने स्थान पर जा सकती हैं। जबकि राजा के लिये नियम अलग हैं। उसे अपनी जीत के लिये प्रार्थना करनी चाहिए- वह अपराजिता जिसने कण्ठहार पहन रअपराजिता और शमी की पूजा करने से हर काम में मिलेगा सफलता सफलताखा है, जिससे चमकदार सोने की मेखला पहन रखी है, जो अच्छा करने की इच्छा रखती हैं, मुझे विजय दें। इस तरह पूजा करके देवी का विसर्जन करना चाहिए।

ऐसे करें शमी के पेड़ की पूजा

अपराजित की पूजा के बाद गांव के बाहर उत्तर-पूर्व में शमी के पौधे की पूजा करनी चाहिए। उसकी जड़ में लोटे से साफ जल चढ़ाना चाहिए और दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से सालभर यात्राओं में लाभ मिलता है, कोई बाधा नहीं आती । निर्णयसिन्धु और धर्मसिन्धु में शमी पूजा के बारे में विस्तार से दिया गया है। यदि शमी का वृक्ष न हो तो अश्मंतक वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। अश्मंतक के वृक्ष को कई भागों में अपाती के नाम से भी जाना जाता है। शमी के पौधे की पूजा के बाद गांव या शहर की सीमा तक जरूर जाना चाहिए। इससे जीवन में उत्साह बना रहता है।


Ritisha Jaiswal

Ritisha Jaiswal

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