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आज यानी 25 जुलाई को सावन महीने का चौथा मंगलवार है। इस दिन मां मंगला गौरी की पूजा की जाती है। जिस तरह सावन के सभी सोमवार शिव जी को समर्पित होते हैं, ठीक उसी प्रकार इस माह के मंगलवार मां मंगला गौरी की पूजा के लिए समर्पित माने जाते हैं। इस दिन सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति और पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और शिव-गौरी की पूजा करती हैं। संतान सुख की प्राप्ति के लिए भी मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से मां पार्वती प्रसन्न होती हैं और आपको सदैव सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं सावन के चौथे मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि और महत्व...
मंगला गौरी व्रत का महत्व
सुहागिन महिलाएं यह व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। वहीं अविवाहित लड़कियां भी अच्छा वर पाने के लिए इस व्रत को करती हैं। इस व्रत को करने से पति और पत्नी के बीच में प्रेम बढ़ता है। साथ ही मान्यता है कि संतानहीन लोग मंगला गौरी व्रत करते हैं तो उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है।
मंगला गौरी व्रत पूजा विधि
सावन मंगलवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और शुभ रंगों के कपड़े पहनें।
इसके बाद व्रत का संकल्प लें एवं पूजा के लिए एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
फिर मां पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
मां पार्वती को लाल रंग के वस्त्र और सुहाग का सामान अर्पित करते हुए विधि-विधान से पूजा करें।
इसके बाद घी का दीपक जलाएं एवं आरती करें।
इस बात ध्यान रखें कि पूजा के लिए सभी सामग्रियों जैसे पान, सुपारी, लौंग, इलायची, फल, पान, लड्डू सुहाग की सामग्री और चूड़ियां आदि की संख्या 16 होनी चाहिए।
पूजा सामग्रियों को अर्पित करने के बाद मंगला गौरी की व्रत कथा सुनें।
आखिर में पति की लंबी आयु और सुखमय दांपत्य जीवन की कामना करें।
