धर्म-अध्यात्म

पापमोचनी एकादशी पर इस विधि से करें पूजा

Tara Tandi
5 April 2024 8:16 AM GMT
पापमोचनी एकादशी पर इस विधि से करें पूजा
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ज्योतिष न्यूज़ : हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को बेहद ही खास माना गया है जो कि हर माह में दो बार आता है और यह तिथि श्री हरि विष्णु को समर्पित होती है इस दिन भक्त भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करते हैं और उपवास आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु की असीम कृपा प्राप्त होती है अभी चैत्र मास चल रहा है और इस माह की एकादशी को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जा रहा है जो कि आज यानी 5 अप्रैल दिन शुक्रवार को मनाई जा रही है
ऐसे में आज हम आपको भगवान विष्णु की पूजा विधि और आरती के बारे में बता रहे हैं माना जाता है कि विधि पूर्वक अगर भगवान विष्णु की पूजा की जाए तो वे शीघ्र प्रसन्न होकर धन समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं तो आज हम आपको बता रहे हैं विष्णु पूजन की संपूर्ण विधि।
पापमोचनी एकादशी पूजा विधि—
आपको बता दें कि एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण करें और हाथ में जल चावल लेकर व्रत का संकल्प करें अब सूर्यदेव को जल अर्पित करें। पूजा घर में चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें इसके बाद श्री हरि की विधिवत पूजा आरंभ करें। इसके बाद श्री हरि विष्णु की पूजा कर सुख समृद्धि और धन धान्य में वृद्धि के लिए प्रार्थना करें व्रत के अगले दिन द्वादशी को गरीबों व जरूरतमंदों को भोजन कराएं और दान दें। इस दिन पूजा करते वक्त भगवान विष्णु की प्रिय आरती जरूर पढ़ें।
भगवान विष्णु की आरती—
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे,
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे,
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का
स्वामी दुःख विनसे मन का,
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का
ॐ जय जगदीश हरे,
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी,
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी
ॐ जय जगदीश हरे
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी
स्वामी तुम अन्तर्यामी,
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी
ॐ जय जगदीश हरे
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता
स्वामी तुम पालन-कर्ता,
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता
ॐ जय जगदीश हरे
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति
स्वामी सबके प्राणपति,
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति
ॐ जय जगदीश हरे
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे
स्वामी तुम ठाकुर मेरे,
अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे
ॐ जय जगदीश हरे
विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा
स्वमी पाप हरो देवा,
श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा
ॐ जय जगदीश हरे
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे
स्वामी जो कोई नर गावे,
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवांछित फल पावे
ॐ जय जगदीश हरे
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