धर्म-अध्यात्म

इस शुभ मुहूर्त पर करें विष्णु जी की पूजा, होगा धन लाभ,आइये देखते हैं विस्तार से

Teja
25 Oct 2021 1:37 PM GMT
इस शुभ मुहूर्त पर करें विष्णु जी की पूजा, होगा धन लाभ,आइये देखते हैं विस्तार से
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सनातन धर्म में देवउठानी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) का बेहद महत्व है. कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठानी एकादशी के नाम से जाना जाता है.

जनता से रिस्ता वेबडेसक | सनातन धर्म में देवउठानी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) का बेहद महत्व है. कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठानी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इसे देव प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी भी कहते हैं. इस वर्ष देवउठानी एकादशी 14 नवंबर के दिन पड़ रही है. ऐसा माना जाता है कि चातुर्मास में भगवान विष्णु आराम करते हैं. जिनका शयन काल देवउठानी एकादशी के दिन समाप्त हो जाता है और वो जाग जाते हैं. देवउठानी एकादशी पर माता तुलसी और भगवान शालिग्राम के विवाह का आयोजन भी कई जगहों पर किया जाता है. आइये जानते हैं कि देवउठानी एकादशी का महत्त्व (Importance) क्या है और इस बार इस एकादशी का शुभ मुहूर्त (Auspicious time) क्या है.

बता दें कि वर्तमान समय में चातुर्मास चल रहा है. पंचांग के अनुसार चातुर्मास का आरंभ इस वर्ष बीती 20 जुलाई को देवशयनी एकादशी के दिन हुआ था. जिसका समापन 14 नवंबर को देवउठानी एकादशी के दिन होगा.

सनातन धर्म में एकादशी का व्रत सभी व्रतों में शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है. जिनमें देवउठानी एकादशी को सभी एकादशी तिथियों में विशेष माना गया है. इस दिन भगवान विष्णु का शयन काल समाप्त होते ही शुभ और मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं. एकादशी व्रत के बारे में महाभारत की कथा में भी बताया गया है. इसके अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी व्रत के महत्व के बारे में बताया था. जिसके बाद धर्मराज युधिष्ठिर ने एकादशी व्रत को विधि-विधान के साथ पूरा किया था. कहा जाता है कि ये व्रत पापों से मुक्ति दिलाने वाला और सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला व्रत है.

देव उठानी एकादशी शुभ मुहूर्त

देवउठनी एकादशी तिथि: – 14 नवंबर 2021

एकादशी तिथि प्रारंभ: – 14 नवंबर 2021 सुबह 05:48

एकादशी तिथि समापन: – 15 नवंबर 2021 सुबह 06:39

तुलसी विवाह

देव उठानी एकादशी के दिन माता तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम के साथ करवाया जाता है. इसी दिन से शादी-विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि जैसे शुभ कार्य वापस शुरू हो जाते हैं. कहते हैं कि इस दिन जो भक्त श्रीहरि की पूजा विधि पूर्वक करता है. उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. जनता से रिस्ता इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)

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