धर्म-अध्यात्म

रविवार के दिन इस विधि से करें सूर्य देव की पूजा, मिलेगा आशीर्वाद, सभी कार्य होंगे सफल

Tulsi Rao
24 April 2022 11:11 AM GMT
रविवार के दिन इस विधि से करें सूर्य देव की पूजा, मिलेगा आशीर्वाद, सभी कार्य होंगे सफल
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जानत से रिश्ता वेबडेस्क। Surya Dev Aarti: ग्रहों के राजा कहे जाने वाले सूर्य देव को रविवार का दिन समर्पित है. इस दिन विधि-विधान से सूर्य देव की पूजा-अर्चना और उपासना करने से व्यक्ति के मान-सम्मान में वृद्धि होती है, करियर में खूब सफलता पाता है और नौकरी में प्रमोशन मिलता है. हिंदू धर्म में सूर्य देव एक मात्र ऐसे देवता तो भक्तों के नियमित रूप से साक्षात दर्शन देते हैं. सूर्य देव की नियमित पूजा करने से जीवन में शांति और खुशहाली आती है.

सुबह स्नान के बाद रोजाना सूर्य देव को जल अर्पित करने से और रोज सूर्य नमस्कार करने से जीवन में बड़े बदलाव आते हैं. वहीं, ग्रंथों में सूर्य देव को जीवन, सेहत और शक्ति के देवता के तौर पर जाना जाता है. रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा के बाद उनकी ये आरती करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सम्मान बढ़ता है.
सूर्यदेव की पूजा का महत्व
ऐसी मान्यता है कि रविवार के दिन भगवान सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति का भाग्योदय होता है. सूर्य देव की उपासना के लिए सुबह स्नान करके भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें. और उनकी पूजा करें. उन्हें धूप, दीप, पुष्प चढ़ाकर पूजा करें और फिर उनकी आरती उतारें. ऐसी मान्यता है कि सूर्य देव के प्रसन्न होने से सभी अशुभ कार्य शुभ कार्यों में परिवर्तित हो जाते हैं.
पढ़ें सूर्य देव की आरती
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान,
।।ॐ जय सूर्य भगवान।।


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