धर्म-अध्यात्म

रविवार के दिन सूर्य देव की इस विधि से करें पूजा, पढ़ें सूर्य देव की ये आरती

Tulsi Rao
30 April 2022 3:25 PM GMT
रविवार के दिन सूर्य देव की इस विधि से करें पूजा, पढ़ें सूर्य देव की ये आरती
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Surya Dev Aarti In Hindi: सभी ग्रहों के राजा कहे जाने वाले सूर्य देव को रविवार का दिन समर्पित है. कलयुग में सूर्य देव की एक मात्र ऐसे देवता हैं, जो भक्तों को नियमित रूप से साक्षात दर्शन देते हैं. सूर्य देव की पूजा का विश्ष महत्व है. नियमित रूप से सूर्य देव को जय अर्पित करने से व्यक्ति के मान-सम्मान में बढ़ोतरी होती है और जीवन में शांति और खुशहाली आती है.

शास्त्रों में सूर्य देव को जीवन, सेहत औक शक्ति के देवता के तौर पर जाना जाता है. केवल रविवार के दिन सूर्य देव को जल अर्पित करने से सप्ताह के सातों दिन जितना पुण्य फल की प्राप्ति होती है. कल रविवार के दिन आप भी सूर्य देव की इस विधि से करें पूजा और पढ़ें ये आरती. जानें सूर्य देव की पूजा का महत्व.
सूर्य देव की पूजा विधि
मान्यता है सूर्य देव की पूजन के लिए सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद भगवान सूर्य देव की पूजा की जाती है. सूर्य देव की पूजा से भाग्य का उदय होता है. भगवान सूर्य देव को धूप,दीप औप पुष्प चढ़ाकर पूजा की जाती है. एक तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें रोली, चावल और लाल रंग के फूल डाल लें और सूर्य देव को जल अर्पित करें. इसके बाद सूर्य देव की आरती करें. सूर्य देव के प्रसन्न होने से सभी अशुभ कार्य शुभ कार्यों में बदल जाते हैं.
पढ़ें सूर्य देव की आरती
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
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तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान,
।।ॐ जय सूर्य भगवान।।


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