धर्म-अध्यात्म

ऋषि पंचमी के दिन करें सप्त ऋषियों की पूजा, जानिए व्रत का शुभ मुहूर्त

Ritisha Jaiswal
29 Aug 2022 8:00 AM GMT
ऋषि पंचमी के दिन करें सप्त ऋषियों की पूजा, जानिए व्रत का शुभ मुहूर्त
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त्योहारों का सीजन शुरू हो चुका है। इसी के बीच अब जल्द ही ऋषि पंचमी का व्रत आने वाला है

त्योहारों का सीजन शुरू हो चुका है। इसी के बीच अब जल्द ही ऋषि पंचमी का व्रत आने वाला है। यह व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन रखा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल ऋषि पंचमी का व्रत 1 सितंबर को रखा जाएगा। हिंदू धर्म में ऋषि पंचमी के व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन सप्त ऋषियों की पूजा की जाती है। यह व्रत खासतौर से महिलाएं रखती हैं।

दोपहर में होगी सप्त ऋषियों की पूजा
सप्त ऋषियों की पूजा के लिए दोपहर का समय शुभ माना गया है। 1 सितंबर को भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि और गुरूवार का दिन है। पंचमी तिथि का आगमन 31 अगस्त की रात 3 बजकर 22 मिनट पर होगा, दोपहर 2 बजकर 49 मिनट तक रहेगी। उसके बाद षष्ठी तिथि लग जायेगी। इसलिए दोपहर 2 बजकर 49 मिनट के पहले ही ऋषि पंचमी व्रत की पूजा की जाएगी।
जानिए, ऋषि पंचमी व्रत का शुभ मुहूर्त
- ऋषि पंचमी तिथि प्रारंभ - 31 अगस्त 2022 को 03:22 पीएम बजे
- ऋषि पंचमी तिथि समाप्त - 01 सितंबर 2022 को 02:49 पीएम बजे
- ऋषि पंचमी 2022 पूजा मुहूर्त - 1 सितंबर 2022 सुबह 11: 05 एएम से 01: 37 पीएम तक
जानिए पूजा विधि
ऋषि पंचमी के दिन दोपहर के समय सप्त ऋषियों- मरीचि, वशिष्ठ, अंगिरा, अत्रि, पुलत्स्य, पुलह और क्रतु:की पूजा करने का विधान है। इस व्रत को रखने वाली महिलाओं को सूर्योदय के समय पूरे घर की सफाई करके व स्नान करके नए वस्त्र धारण कर लेने चाहिए। इसके बाद पूजा घर में आसन पर बैठकर एक चौकी तैयार करें। पूजा की चौकी में हल्दी, कुमकुम से चौकोर मंडल बनाएं। इसके बाद सप्तऋषि की स्थापना करें। इसके बाद पंचामृत व गंगाजल का छिड़काव करें। इसमें चंदन का तिलक लगाएं। इसके साथ ही फूल, माला अर्पित करें। फिर वस्त्र व जनेऊ अर्पित करें।
मिठाई व फल का लगाएं भोग
जब आपकी पूजा पूरी हो जाए तो सप्त ऋषि को फलों व मिठाई का भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद धूप दीपक जलाकर आरती व सप्तऋषि के पूजन मंत्र का जाप करें।सप्तऋषि पूजन का मंत्र - 'कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः। जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥ दहन्तु पापं सर्व गृह्नन्त्वर्ध्यं नमो नमः'॥' यह व्रत बिना किसी अन्न खाए, फलाहारी रखा जाता है
शास्त्रों में ऋषि पंचमी की इस पूजा का बहुत ही महत्व बताया गया है। दरअसल कई बार पीरियड्स की शुरुआत में ऐसी स्थिति बन जाती है कि उस समय आप घर की ऐसी जगह पर होती हैं या कोई ऐसा काम कर रही होती हैं, जहां अमूमन इस दौरान जाने की या वो काम करने की मनाही होती है। उदाहरण के तौर पर आप घर के पवित्र स्थान पर कुछ कर रही हैं, पूजा घर की साफ-सफाई कर रही हैं या रसोई से संबंधी कोई काम कर रही हैं और आपके साथ ही वहां ये सिचुएशन बन जाये, जो कि आपके हाथ में नहीं है। ये प्रकृति का नियम है या यूं कहें कि एक साइकिल है, जो हर महीने होता है और कभी भी कहीं भी शुरू हो जाता है। इसलिए पूरे साल में अगर कभी आपके साथ ऐसी कोई घटना हुई है, तो उसके पापबोध से बचने के लिये एकमात्र ये ऋषि पंचमी का दिन है। एक बार फिर से आपको बता दें कि ऋषि पंचमी के दिन दोपहर (2 बजकर 49 मिनट) के समय सप्तऋषियों की पूजा करनी चाहिए।


Ritisha Jaiswal

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