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धर्म-अध्यात्म
वसंत पंचमी में इन रीति और नियम को ध्यान में रखकर करें माँ की आराधना
Kajal Dubey
5 Feb 2022 1:29 AM GMT
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वसंत पंचमी के दिन विद्या और कला की देवी माता सरस्वती प्रकट हुईं थीं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वसंत को ऋतुओं का राजा कहा जाता है, वहीं वसंत पंचमी से शीत ऋतु कम होने लगती है और ग्रीष्म ऋतु का आगाज होता है. माघ महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी (Basant Panchami) के रूप में मनाया जाता है. भारतीय पौराणिक ग्रंथों (History) में वसंत पंचमी का खास महत्व (Importance) है. क्योंकि मान्यता के अनुसार वसंत पंचमी के दिन विद्या और कला की देवी माता सरस्वती प्रकट हुईं थीं.
इस साल वसंत पंचमी का पर्व शनिवार के दिन 5 फरवरी को यानी आज मनाया जा रहा है. वसंत पंचमी के त्योहार को समूचे देश में काफी धूम-धाम से मनाया जाता है. खासकर छात्रों के लिए इस पर्व का काफी महत्व है. इस दिन सभी अभ्यार्थी सुबह स्नान करने के बाद माता सरस्वती की अराधना कर विद्या का वरदान मांगते हैं. हालांकि कुछ खास रीति-रिवाजों को ध्यान में रखकर आप वसंत पंचमी को और भी शुभ बना सकते हैं.
पीले रंग का वस्त्र पहनें व अर्पित करें
पौराणिक कथाओं के अनुसार पीला रंग माता सरस्वती का पसंदीदा रंग है. इसीलिए वसंत पंचमी के दिन पीले रंग का वस्त्र पहनना काफी शुभ माना जाता है. इसी के साथ माता सरस्वती की पूजा के दौरान उन्हें पीले रंग का वस्त्र चढ़ाना भी बेहद लाभकारी होता है.
अर्पण करें पीले फूल
वसंत पंचमी पर पूजा के दौरान माता सरस्वती को पीला या सफेद रंग का फूल चढ़ाएं. जहां पीला देवी सरस्वती का चहेता रंग है, वहीं सफेद रंग के फूल भी उन्हें काफी प्रिय हैं. इसीलिए पीला और सफेद फूल अर्पण करके आप वसंत पंचमी को शुभ बना सकते हैं.
पेन और किताबें चढ़ाएं
वसंत पंचमी की पूजा करते समय खासकर छात्र-छात्राएं माता सरस्वती को पेन और किताब चढ़ाना न भूलें. इससे बुध ग्रह मजबूत रहता है और मेमोरी काफी शार्प होती है. पूजा के बाद इन्हीं पेन और किताबों का इस्तेमाल करें.
तिलक लगाना न भूलें
वसंत पंचमी पर माता सरस्वती की अराधना करते समय चंदन और केसर का तिलक जरूर लगाएं. पीले रंग का चंदन लगाना भी शुभ होता है. इससे आपका ब्रहस्पति मजबूत रहेगा और आपको विद्या के साथ-साथ धन का भी लाभ मिलेगा.
भोग लगाना है जरूरी
पूजा के बाद देवी सरस्वती को भोग लगाना भी बेहद जरूरी होता है. भोग लगाने के लिए पीले रंग के बूंदी या फिर बूंदी के लड्डू का इस्तेमाल करें. ये माता सरस्वती का पसंदीदा भोग है
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