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धर्म-अध्यात्म
रविवार के दिन सूर्य देव की ऐसे करें आराधना...आप पर बरसेगी विशेष कृपा
Subhi
11 April 2021 2:27 AM GMT
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हिंदू धर्म में पंचदेवों में से सूर्य देव भी एक माने गए हैं. वहीं ज्योतिष में भी सूर्य का बहुत महत्व माना गया है.
हिंदू धर्म में पंचदेवों में से सूर्य देव भी एक माने गए हैं. वहीं ज्योतिष में भी सूर्य का बहुत महत्व माना गया है. ज्योतिष के अनुसार सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है. यह मनुष्य के जीवन में मान-सम्मान, पिता-पुत्र और सफलता का कारक माना गया है. ज्योतिष के अनुसार सूर्य हर माह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं. इस तरह से बारह राशियों में सूर्य एक वर्ष में अपना चक्र पूर्ण करते हैं. सूर्य को आरोग्य का देवता माना गया है. सूर्य के प्रकाश से ही पृथ्वी पर जीवन संभव है. सूर्य को प्रतिदिन जल देने से जातक को आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं. साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होते हैं. सूर्य देव की कृपा पाने और कुंडली में सूर्य की अनुकूलता बनाएं रखने के लिए प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए. इससे आपको समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है.
ऐसे करें सूर्य देव की साधना
आप अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं, लेकिन सूर्य देव को जल देते समय कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी होता है. इन बातों को ध्यान में रखकर यदि सूर्य देव को जल अर्पित करते हैं तो जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और सभी बिगड़े काम भी बनने लगते हैं. हर रविवार को सूर्य पूजन और सूर्य मंत्र का 108 बार जाप करने से लाभ मिलता है. ये सूर्य मंत्र आपकी समस्त मनोकामना पूर्ण करने में आपकी सहायता करते हैं. यह अनुभूत प्रयोग है. रविवार के दिन नीचे दिए गए मंत्रों में से जो भी मंत्र आसानी से याद हो सकें उसके द्वारा सूर्य देव का पूजन-अर्चन करें. फिर अपनी मनोकामना मन ही मन बोलें. भगवान सूर्य नारायण आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करेंगे.
सूर्यदेव की न सिर्फ उदय होते हुए बल्कि अस्त होते समय भी पूजा की जाती है. सूर्य देव की डूबते हुए साधना सूर्य षष्ठी के पर्व पर की जाती है, जिसे हम छठ पूजा के रूप में जानते हैं. इस दिन सूर्य देवता को अर्घ्य देने से इस जन्म के साथ-साथ, किसी भी जन्म में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं.
क्यों करते हैं सूर्य देव के तीन प्रहर की साधना
सूर्य की दिन के तीन प्रहर की साधना विशेष रूप से फलदायी होती है.
सुबह के समय सूर्य की साधना से आरोग्य की प्राप्ति होती है.
दोपहर के समय की साधना साधक को मान-सम्मान में वृद्धि कराती है.
संध्या के समय की विशेष रूप से की जाने वाली सूर्य की साधना सौभाग्य को जगाती है और संपन्नता लाती है.
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