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धर्म-अध्यात्म
आज नवरात्रि के चौथे दिन करें स्कंदमाता की पूजा, जानें मंत्र और महत्व
Shiddhant Shriwas
10 Oct 2021 5:14 AM GMT
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आज नवरात्रि के चौथे दिन स्कंदमाता (Skandmata) की पूजा अर्चना करें. इस दिन व्रत और पूजा करने से संतान प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज नवरात्रि (Navratri) की पंचमी तिथि को स्कंदमाता (Skandmata) की पूजा अर्चना होती है. पंचांग के अनुसार, आज शारदीय नवरात्रि की पंचमी तिथि है. इस दिन मां दुर्गा की पूजा भगवान स्कंद की माता के रूप में होती है. भगवान कार्तिकेय को स्कंद भी कहा जाता है. मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा करने से संतान प्राप्ति होता है और मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं.
मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा करने से संतान पर आने वाली कष्ट का अंत हो जाता है. माता को पीले रंग की चीजें अर्पित करनी चाहिए. इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनकर पूजा करना शुभ होता है. मां अपने इस स्वरूप में स्कंद को अपने गोद में लिए में हुईं हैं. इनकी चार भुजाएं हैं दाहिन ओर ऊपर के भुजा में कमल पुष्प धारण किया है. बाएं ओर के ऊपर वाली भुजा में कमल धारण करती हैं और नीचे की भुजा वर मुद्रा में है और नीचे वाले भुजा में से स्कंदकुमार की गोद में लिए हुए हैं. आइए जानते हैं स्कंदमाता की पूजा विधि, मंत्रों के बारे में.
स्कंदमाता की पूजा विधि
आज नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के पांचवा स्वरूप मां स्कंदमाता की तस्वीर या मूर्ति को स्थापित करें. इसके बाद गंगाजल छिड़क कर मूर्ति को शुद्ध करें. इसके बाद सिंदूर, रोली, धूप, फल, फूल, नैवेद्य चढ़ाएं. फिर दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें. उसके बाद स्कंद माता के मंत्रों का जाप करें और आखिर में आरती करें.
स्कंदमाता के मंत्रों का जाप करें
1-ऊँ स्कन्दमात्रै नम:
2- ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
3- या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
4-सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
5-महाबले महोत्साहे महाभय विनाशिनी।
त्राहिमाम स्कन्दमाते शत्रुनाम भयवर्धिनि।।
स्कंदमाता को केले का भोग लगाएं
स्कंदमाता को केले का भोग लगाना चाहिए. माता को भोग लगाने के बाद केले को ब्राह्माणों को दान करें. मान्यता है कि ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है और घर में सुख- समृद्धि का वास होता है.
Shiddhant Shriwas
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