- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- इस दिन करें श्री...
धर्म-अध्यात्म
इस दिन करें श्री सत्यनारायण की पूजा, हर मुराद होगी पूरी
Apurva Srivastav
24 May 2024 7:55 AM GMT
x
नई दिल्ली : सनातन धर्म में गुरुवार के दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही गुरुवार का व्रत रखा जाता है। इस दिन श्री सत्यनारायण पूजा भी की जाती है। सनातन शास्त्रों में श्री सत्यनारायण पूजा की महिमा का वर्णन है। इस पूजा के लिए तिथि और मुहूर्त का विचार नहीं किया जाता है। साधक अपनी सुविधा के अनुसार किसी दिन श्री सत्यनारायण पूजा कर सकते हैं। हालांकि, पूर्णिमा तिथि पर श्री सत्यनारायण पूजा करने से व्रती को विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है। धार्मिक मत है कि श्री सत्यनारायण पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि, शांति और खुशहाली आती है। साथ ही व्रती को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। अगर आप भी जून महीने में श्री सत्यनारायण पूजा करने की सोच रहे हैं, तो तिथि और शुभ मुहूर्त अवश्य नोट कर लें। आइए जानते हैं-
शुभ मुहूर्त
ज्योतिष पूर्णिमा तिथि पर श्री सत्यनारायण पूजा करने की सलाह देते हैं। जून महीने में ज्येष्ठ पूर्णिमा 22 जून है। पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ पूर्णिमा 21 जून को सुबह 07 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 22 जून को सुबह 06 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी। ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत 21 जून को रखा जाएगा। वहीं, ज्येष्ठ पूर्णिमा 22 जून को मनाई जाएगी। अतः जून महीने में श्री सत्यनारायण पूजा हेतु 22 जून का दिन बेहद उत्तम है। इस दिन स्नान-ध्यान, पूजा, जप-तप और दान-पुण्य किया जाता है।
शुभ समय
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 04 मिनट से 04 बजकर 44 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से 03 बजकर 39 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 21 मिनट से 07 बजकर 41 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 43 मिनट तक
Tagsश्री सत्यनारायणपूजाहर मुराद पूरीShri Satyanarayanworshipevery wish fulfilledजनता से रिश्ता न्यूज़जनता से रिश्ताआज की ताजा न्यूज़हिंन्दी न्यूज़भारत न्यूज़खबरों का सिलसिलाआज की ब्रेंकिग न्यूज़आज की बड़ी खबरमिड डे अख़बारJanta Se Rishta NewsJanta Se RishtaToday's Latest NewsHindi NewsIndia NewsKhabron Ka SilsilaToday's Breaking NewsToday's Big NewsMid Day Newspaperजनताjantasamachar newssamacharहिंन्दी समाचार
Apurva Srivastav
Next Story