धर्म-अध्यात्म

Sawan में इस विधि से करें शिवलिंग की पूजा शीघ्र मिलेगा फल

Tara Tandi
21 July 2024 6:56 AM GMT
Sawan में इस विधि से करें शिवलिंग की पूजा शीघ्र मिलेगा फल
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Sawan ज्योतिष न्यूज़ : हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल सावन का आरंभ 22 जुलाई दिन सोमवार से होने जा रहा है और इस माह का समापन 19 अगस्त दिन सोमवार को हो जाएगा। यह महीना भगवान शिव को समर्पित है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रावण मास भगवान भोलेनाथ का प्रिय महीना है इस पवित्र मास में भक्त भोलेनाथ की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं सावन में पड़ने वाला सोमवार भी खास माना जाता है इस दौरान महिलाएं पूजा पाठ और व्रत करती है ऐसा करने से शिव शंकर की कृपा प्राप्त होती है। लेकिन सावन के महीने में शिवलिंग पूजा अगर सही विधि और नियमों का पालन करते हुए कि जाए तभी पूजा का पूर्ण फल मिलता है तो आज हम आपको शिवलिंग पूजा की सही विधि बता रहे हैं जो आपको शीघ्र फल प्रदान करेगी तो आइए जानते हैं।
यहां जानें शिवलिंग पूजा की विधि—
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवलिंग की पूजा सदैव विधिवत तरीके से की जानी चाहिए तभी इसका फल मिलता है शिवलिंग के पूजा के लिए आपका तन मन दोनों ही पवित्र होना चाहिए। सावन में शिवलिंग की पूजा करने के लिए सबसे पहले शिवलिंग का अभिषेक करें इसके लिए दूध, दही, शहद और गंगाजल से शिवलिंग को स्नान कराएं। अब शिवलिंग का अभिषेक करें उन्हें जल से भी स्नान कराना चाहिए।
शिवलिंग को स्नान कराने के लिए तांबे के लोटे में जल भरकर जलहरी पर चढ़ाएं। सबसे पहले शिवलिंग के चारों ओर बनी जलहरी में जल दाहिनी तरह से अर्पित करें। इसे गणपति का स्थान माना गया है और हमेशा ही जलाभिषेक इसी स्थान से करना आरंभ करें। जलहरी के बाद इसके बाईं ओर जल चढ़ाएं और इसे कार्तिकेय का निवास माना गया है इसके बाद शिवलिंग के बीच में जल अर्पित करें अगर आप शिवलिंग की पूजा घर में कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि हमेशा जलाभिषेक बैठकर ही करें घर में शिवलिंग की पूजा के बाद शिव की आरती करें और प्रसाद चढ़ाएं।
अगर आप मंदिर में शिवलिंग पूजा करें तो कभी भी शिवलिंग की पूरी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए साथ ही जलहरी को लांगना भी नहीं चाहिए। शिवलिंग का जलाभिषेक करने के बाद उस पर चंदन का तिलक लगाएं और उसके बाद बेलपत्र, पुष्प माला, भांग धतूरा अर्पित करें बता दें कि शिवलिंग पूजा के समय उसके आस पास की जगह को खाली रखें। जिससे जल सीधे ही जलहरी के नीचे एक प्रवाह में बहें।
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