धर्म-अध्यात्म

शनिवार के दिन करें शनिदेव की आराधना...जाने प्रसन्न करने के उपाय और मंत्र

Subhi
26 Dec 2020 3:16 AM GMT
शनिवार के दिन करें शनिदेव की आराधना...जाने  प्रसन्न करने के उपाय और मंत्र
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शनिदेव का नाम आते ही लोगों के मन में भय आ जाता है। लोगों का मानना है कि शनि की दृष्टि से व्यक्ति का नाश हो जाता है। लेकिन ऐसा नहीं है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | शनिदेव का नाम आते ही लोगों के मन में भय आ जाता है। लोगों का मानना है कि शनि की दृष्टि से व्यक्ति का नाश हो जाता है। लेकिन ऐसा नहीं है। अगर शनिदेव की अच्छी दृष्टि किसी पर पड़ जाए तो व्यक्ति रंक से राजा भी बन जाता है। अगर व्यक्ति से शनिदेव प्रसन्न हों तो उसके वारे-न्यारे भी कर देते हैं। ज्योतिष में शनिदेव का स्थान बेहद ही विशेष है। अगर किसी को शनि ग्रह संबंधी चिंता हो तो उसके निवारण के लिए शनि मंत्र, शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। शनि मंत्र, शनि पीड़ा परिहार के लिए उत्तम है।

शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय और मंत्र:

शनिवार के दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर लें। फिर सच्चे मन से शनिदेव की आराधना करें और निम्न मंत्र का आव्हान करें-

नीलद्युति शूलधरं किरीटिनं गृध्रस्थितं त्रासकरं धनुर्धरम चतुर्भुजं सूर्यसुतं प्रशातं वन्दे सदाऽभीष्टकरं वरेण्यम्।।

अर्थात्- जिनके शरीर की कांति नीलमणि के समान है, रत्नों का मुकुट माथे पर शोभायमान है। जो अपने चारों हाथों में धनुष-बाण, त्रिशूल-गदा और अभय मुद्रा को धारण किए हुए हैं, जो गिद्ध पर स्वार होकर अपने शत्रुओं को भयभीत करते हैं, जो शांत होकर भक्तों का सदा कल्याण करते हैं, ऐसे सूर्यपुत्र शनिदेव की मैं वंदना करता हूं, ध्यानपूर्वक प्रणाम करता हूं।

शनि नमस्कार मंत्र:

ॐ नीलांजनं समाभासं रविपुत्रम् यमाग्रजम्।

छाया मार्तण्डसंभूतम् तं नमामि शनैश्चरम्।।

उपरोक्त मंत्र का उच्चारण या पाठ अगर पूजन के समय अथवा किसी भी समय किया जाए तो शनिदेव प्रसन्न हो जाते हैं और व्यक्ति की पीड़ा को हर लेते हैं।

उपयोगी उपाय: मान्यता है कि अगर किसी व्यक्ति पर शनि की अशुभ महादशा या अंतरदशा चल रही हो या फिर शनि जन्म लग्न या राशि से प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ, अष्टम, द्वादश स्थानों में गोचर कर रहे हों तब तब शनि अनिष्टप्रद व पीड़ादायक होता है। इसके परिहार के लिए व्यक्ति को श्रद्धापूर्वक शनिदेव की पूजा-आराधना करनी चाहिए। साथ ही मंत्र व स्तोत्र का जाप भी करना चाहिए। व्यक्ति को शनिप्रिय वस्तुओं का दान भी करना चाहिए।




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