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जैन समुदाय के लिए रोहिणी व्रत बेहद अहम होता है। इस व्रत को जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा किया जाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेसक | जैन समुदाय के लिए रोहिणी व्रत बेहद अहम होता है। इस व्रत को जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा किया जाता है। धार्मिक मान्यताओें के अनुसार, 27 नक्षत्रों में से एक नक्षत्र रोहिणी भी है। हर महीने यह व्रत किया जाता है। यह व्रत उस दिन किया जाता है जब रोहिणी नक्षत्र सूर्योदय के बाद प्रबल होता है। ऐसा कहा जाता है कि जैन परिवारों की महिलाओं के लिए यह व्रत बेहद महत्वपूर्ण होता है। हालांकि, सिर्फ महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी इस व्रत को कर सकते हैं। रोहिणी व्रत रोहिणी देवी से जुड़ा है। इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ भगवान वासुपूज्य की पूजा की जाती है।
इस दिन व्रत करने से पति की लंबी आयु लंबी होती है और स्वास्थ्य भी अच्छा होता है। इस दिन जो महिला व्रत करती हैं उनसे ईर्ष्या, द्वेष जैसे भाव दूर हो जाते हैं। साथ ही उनके जीवन में धन, धान्यी और सुखों में बढ़ोत्तरी भी होती है। आज के दिन रोहिणी व्रत कैसे किया जाए यह हम आपको यहां बता रहे हैं।
रोहिणी व्रत की पूजा-विधि:
इस दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए। सभी नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर लें।
इस दौरान भगवान वासुपूज्य की अराधना की जाती है। उनकी पंचरत्न, ताम्र या स्वर्ण की मूर्ति की स्थापना करनी चाहिए।
पूजा के बाद उन्हें फल-फूल, वस्त्र और नैवेद्य का भोग लगाना चाहिए।
इस दिन अपने सामर्थ्यनुसार गरीबों को दान करना चाहिए। इसका महत्व बहुत ज्यादा होता है।
मान्यता है कि इस व्रत का पालन 3, 5 या 7 वर्षों तक निश्चित रूप से करना चाहिए। इस व्रत के लिए उचित अवधि 5 महीने या फिर 5 साल मानी गई है।
डिसक्लेमर
'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'
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