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उत्पन्ना एकादशी की पूजा से मिलेगा संतान सुख, जानें पूजा विधि
इस साल उत्पन्ना एकादशी का व्रत 20 नवंबर को रखा जाएगा। हर साल अगहन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी पड़ता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से निसंतान दंपति को संतान सुख भी मिलता है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है।
उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि
उत्पन्ना एकादशी के प्रात:काल स्नान कर के साफ वस्त्र पहन लें। अब मंदिर को अच्छे से साफ कर लें और हर जगह गंगा जलकर छिड़के। अब भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें। फिर भगवान विष्णु की विधिवत् पूजा करें और उन्हें फल, मिठाई का भोग लगाएं। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। उत्पन्ना एकादशी व्रत की कथा पढ़ना बिल्कुल न भूलें। इस दिन सारी रात जगकर भगवान का भजन- कीर्तन करना चाहिए। साथ ही श्री हरि विष्णु से अनजाने में हुई भूल या पाप के लिए क्षमा भी मांगनी चाहिए।
उत्पन्ना एकादशी शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि आरंभ - नवंबर19, 2022 को 10:29 AM बजे
एकादशी तिथि समाप्त - नवंबर 20, 2022 को 10:41 AM बजे
पारण (व्रत तोड़ने का) समय - नवंबर 21, 06:40 AM से 08:47 PM
उत्पन्ना एकादशी मंत्र
सत्यस्थ: सत्यसंकल्प: सत्यवित् सत्यदस्तथा। धर्मो धर्मी च कर्मी च सर्वकर्मविवर्जित:।।
कर्मकर्ता च कर्मैव क्रिया कार्यं तथैव च। श्रीपतिर्नृपति: श्रीमान् सर्वस्यपतिरूर्जित:।।
उत्पन्ना एकादशी व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन निर्जला व्रत रहने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और आपके द्वारा किए गए सभी पापों का नाश होता है। उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन दान करने से कई गुना अधिक फल मिलता है।