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शालीग्राम की पूजा से नहीं होती धन-वैभव की कमी लेकिन इन नियमों के साथ करें पूजा
हिंदू धर्म में पूजा-पाठ को लेकर कुछ नियम बताए गए हैं. किसी भी देवता की पूजा का पूर्ण फल तभी प्राप्त होता है, जब नियमानुसार उनकी पूजा की जाती है. ऐसे से ही अगर आप घर में शालीग्राम भगवान की पूजा कर रहे हैं, तो कुछ नियमों को जान लेना बेहद जरूरी है. बता दें कि शालीग्राम भगवान विष्णु का विग्रह स्वरूप माने जाते हैं. काले रंग के गोल चीकने पत्थर को शालीग्राम कहा जाता है. इन्हें गमले में मां तुलसी के साथ रखा जाता है. कहते हैं कि शालीग्राम की पूजा करते समय अगर कुछ गलती हो जाए, तो भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की नाराजगी भी सहनी पड़ती है. आइए जानते हैं शालीग्राम की पूजा के कुछ नियमों के बारे में.
शालीग्राम की पूजा करते समय रखें इन बातों का ध्यान
शास्त्रों में कहा गया है कि शालीग्राम स्वयंभू हैं. इनकी आराधना करने के लिए प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं है. लेकिन अगर आप ने घर में शालीग्राम स्थापित किए हैं, तो साफ-सफाई का खास ख्याल रखें. ऐसा न करने में पूजा का फल भी नहीं मिलता और घर में तनवा की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.
मान्यता है कि शालीग्राम की पूजा के समय भूलकर भी अक्षत का प्रयोग न करें. अगर चावल चढ़ा भी रहे हैं, तो इसे हल्दी में रंग ही अर्पित करने चाहिए.
ग्रंथों के अनुसार शालीग्राम जी अपार ऊर्जा का स्तोत्र माने जाते हैं. इन्हें घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. अगर इनकी पूजा के दौरान जरा-सी भी अशुद्धि हो जाए, तो घर में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. परिवार के सदस्यों की सेहत पर प्रभाव पड़ता है. कलह-कलेश बढ़ने लगते हैं. और व्यक्ति पर कर्ज चढ़ने लगता है.
हैं कि घर में तुलसी के गमले में शालीग्राम की पूजा उत्तम मानी जाती है. नियमित रूप से शालीग्राम की पूजा की जानी चाहिए. कहते हैं कि नियमित रूप से तुलसी के पत्ते को शालीग्राम पर अर्पित करना शुभ होता है.
शास्त्रों में कहा गया है कि शालीग्राम को कभी भी न तो किसी शादीशुदा व्यक्ति से लेना चाहिए और न ही उन्हें देना चाहिए. ऐसा करना अशुभ माना जाता है. कहते हैं कि किसी संत से ही शालीग्राम को लेना चाहिए.