धर्म-अध्यात्म

आज इन शुभ मुहूर्तों में करें मां स्कंदमाता की अराधना, माँ को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय

Shiddhant Shriwas
10 Oct 2021 3:27 AM GMT
आज इन शुभ मुहूर्तों में करें मां स्कंदमाता की अराधना, माँ को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय
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नवरात्रि के दौरान मां के 9 रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। पांचवीं नवरात्रि पर मां के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता की पूजा- अर्चना की जाती है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज पांचवीं नवरात्रि है। नवरात्रि के दौरान मां के 9 रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। पांचवीं नवरात्रि पर मां के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता की पूजा- अर्चना की जाती है। भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां को स्कंदमाता नाम से जाना जाता है। मां को अपने पुत्र के नाम के साथ संबोधित किया जाना प्रिय है। मां की उपासना से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। मां की कृपा से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। मां को प्रसन्न करने के लिए स्कंदमाता स्तोत्र पाठ, कवच और आरती जरूर करें।

इन शुभ मुहूर्तों में करें मां स्कंदमाता की पूजा-
ब्रह्म मुहूर्त- 04:40 ए एम से 05:29 ए एम
अभिजित मुहूर्त - 11:45 ए एम से 12:31 पी एम
विजय मुहूर्त - 02:04 पी एम से 02:51 पी एम
गोधूलि मुहूर्त - 05:45 पी एम से 06:09 पी एम
रवि योग - 02:44 पी एम से 07:54 पी एम
स्तोत्र पाठ
नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्।
समग्रतत्वसागररमपारपार गहराम्॥
शिवाप्रभा समुज्वलां स्फुच्छशागशेखराम्।
ललाटरत्नभास्करां जगत्प्रीन्तिभास्कराम्॥
महेन्द्रकश्यपार्चिता सनंतकुमाररसस्तुताम्।
सुरासुरेन्द्रवन्दिता यथार्थनिर्मलादभुताम्॥
अतर्क्यरोचिरूविजां विकार दोषवर्जिताम्।
मुमुक्षुभिर्विचिन्तता विशेषतत्वमुचिताम्॥
नानालंकार भूषितां मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम्।
सुशुध्दतत्वतोषणां त्रिवेन्दमारभुषताम्॥
सुधार्मिकौपकारिणी सुरेन्द्रकौरिघातिनीम्।
शुभां पुष्पमालिनी सुकर्णकल्पशाखिनीम्॥
तमोन्धकारयामिनी शिवस्वभाव कामिनीम्।
सहस्त्र्सूर्यराजिका धनज्ज्योगकारिकाम्॥
सुशुध्द काल कन्दला सुभडवृन्दमजुल्लाम्।
प्रजायिनी प्रजावति नमामि मातरं सतीम्॥
स्वकर्मकारिणी गति हरिप्रयाच पार्वतीम्।
अनन्तशक्ति कान्तिदां यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम्॥
पुनःपुनर्जगद्वितां नमाम्यहं सुरार्चिताम्।
जयेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवीपाहिमाम्॥
कवच
ऐं बीजालिंका देवी पदयुग्मघरापरा।
हृदयं पातु सा देवी कार्तिकेययुता॥
श्री हीं हुं देवी पर्वस्या पातु सर्वदा।
सर्वांग में सदा पातु स्कन्धमाता पुत्रप्रदा॥
वाणंवपणमृते हुं फ्ट बीज समन्विता।
उत्तरस्या तथाग्नेव वारुणे नैॠतेअवतु॥
इन्द्राणां भैरवी चैवासितांगी च संहारिणी।
सर्वदा पातु मां देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वै॥
रहस्यमयी स्वभाव के लेकिन हर काम में परफेक्ट होते हैं ये राशि वाले, किस्मत के भी होते हैं धनी
स्‍कंदमाता की आरती
जय तेरी हो अस्कंध माता
पांचवा नाम तुम्हारा आता
सब के मन की जानन हारी
जग जननी सब की महतारी
तेरी ज्योत जलाता रहू मै
हरदम तुम्हे ध्याता रहू मै
कई नामो से तुझे पुकारा
मुझे एक है तेरा सहारा
कही पहाड़ो पर है डेरा
कई शहरों में तेरा बसेरा
हर मंदिर मै तेरे नजारे
गुण गाये तेरे भगत प्यारे
भगति अपनी मुझे दिला दो
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो
इन्दर आदी देवता मिल सारे
करे पुकार तुम्हारे द्वारे
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये
तुम ही खंडा हाथ उठाये
दासो को सदा बचाने आई
'भक्त' की आस पुजाने आई


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