धर्म-अध्यात्म

प्रदोष काल में इस तरह करें महादेव की पूजा अर्चना

Subhi
19 Sep 2022 4:53 AM GMT
प्रदोष काल में इस तरह करें महादेव की पूजा अर्चना
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भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए भक्त विधि-विधान के साथ पूजा पाठ तो करते ही हैं. साथ ही, व्रत, उपाय आदि भी करते हैं. मान्यता है कि भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं

भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए भक्त विधि-विधान के साथ पूजा पाठ तो करते ही हैं. साथ ही, व्रत, उपाय आदि भी करते हैं. मान्यता है कि भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों को मनोकामना पूर्ति का वरदान देते हैं. ऐसे में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष काल का समय बेहद शुभ बताया गया है. सोमवार को प्रदोष काल में भगवान शिव की महिमा का गुणगान करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. प्रदोष काल में भगवान शिव का चालीसा और मंत्र जाप से महादे बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं. लेकिन शिव चालीसा करते समय कुछ नियमों को ध्यान रखना बेहद जरूरी है. आइए जानते हैं शिव चालीसा के नियमों के बारे में.

शिव चालीसा नियम

मान्यता है कि मात्र शिव स्तुति का गुणगान करने से ही महादेव की कृपा पाई जा सकती है. शिव चालीसा में भगवान शिव की महिमा का गुणगान किया गया है. वैसे तो नियमित रूप से शिव चालीसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. लेकिन शास्त्रों में सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है. इसलिए सोमवार के दिन विशेष रूप से इसका गुणगान किया जाना चाहिए.

शिव चालीसा का पाठ करते समय शिवलिंग के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं. इसके साथ ही स्नान करके साफ वस्त्र धारण करके ही शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए.

इस दिन भगवान शिव को प्रसाद के रूप में मिश्री का भोग लगाएं. इसके बाद बेलपत्र को उल्टा करके शिवलिंग पर अर्पित कर दें. इस बात का ध्यान रखें कि पूजा करते समय भक्तों का मुंह उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए.

एक दिन में शिव चालीसा का 11 बार पाठ करना विशेष लाभदायी होता है. लगातार 40 दिन तक शिव चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

शिव चालीसा

।।दोहा।।

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत संतन प्रतिपाला॥

भाल चंद्रमा सोहत नीके। कानन कुंडल नागफनी के॥

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुंडमाल तन छार लगाये॥

वस्त्र खाल बाघंबर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥

मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

नंदि गणेश सोहै तहं कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महं मारि गिरायउ॥

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥

कीन्ह दया तहं करी सहाई। नीलकंठ तब नाम कहाई॥

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥

मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥

धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥

अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शंभु सहाई॥

ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

पंडित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥

कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

॥दोहा॥

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥

मगसर छठि हेमंत ॠतु, संवत चौसठ जान।

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥

शिव जी मंत्र जाप ( Shiv Mantra Jaap)

ॐ नमः शिवाय

व्यक्ति के दिमाग और शरीर को शांत करने के लिए नियमित रूप से इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें. इससे महादेव की कृपा प्राप्त होती है.

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

अकाल मृत्यु के भय से मुक्त होने के लिए इस मंत्र का जाप किया जाता है. ये महामृत्युंजय मंत्र है.

ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः

ये भगवान शिव का रुद्र मंत्र है. इसके जाप से भगवान शिव की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि

तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्!

इस गायत्री मंत्र का सर्वशक्ती माना गया है. शिव गायत्री मंत्र के जाप से व्यक्ति को सुख और शांति की प्राप्ति होती है.


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