धर्म-अध्यात्म

विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा, होगी उत्तम फल की प्राप्ति

Tara Tandi
9 May 2024 7:28 AM GMT
विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा, होगी उत्तम फल की प्राप्ति
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ज्योतिष न्यूज़ : सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की साधना को समर्पित होता है वही गुरुवार का दिन भगवान विष्णु की साधना आराधना को समर्पित किया गया है इस दिन भक्त भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि इस दिन ​विष्णु पूजा अगर विधि विधान के साथ ही जाए तो प्रभु प्रसन्न होकर कृपा करते हैं और भक्तों के सारे संकट व बाधाओं को दूर कर देते है तो आज हम आपके लिए लेकर आए है विष्णु पूजा की संपूर्ण विधि।
विष्णु पूजा की विधि—
आपको बता दें कि गुरुवार के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें इसके बाद पीले वस्त्रों को धारण कर भगवान सूर्यदेव को जल अर्पित करें अब मंदिर की साफ सफाई करके चौकी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित करें। भगवान विष्णु को पुष्प अर्पित कर चंदन लगाएं।
इसके बाद माता लक्ष्मी को श्रृंंगार की चीजें अर्पित करें अब देसी घी का दीपक जलाकर भगवान की आरती करें इसके बाद श्री हरि विष्णु के मंत्रों का जाप कर विष्णु चालीसा का पाठ करें अंत में खीर, मिठाई और फल का भोग चढ़ाएं। भोग में तुलसी दल भी शामिल करें। इस दिन पूजा पाठ के बाद गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन व वस्त्रों का दान जरूर करें।
भगवान विष्णु की आरती—
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भगवान विष्णु की आरती
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
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