धर्म-अध्यात्म

देवउठनी एकादशी के दिन इस समय करें भगवान विष्णु की पूजा

Gulabi
13 Nov 2021 10:32 AM GMT
देवउठनी एकादशी के दिन इस समय करें भगवान विष्णु की पूजा
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इस समय करें भगवान विष्णु की पूजा

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. ऐसे में देवउठनी एकादशी कल है. देवउठनी एकादशी के इस दिन चार महीने का शयन काल पूरा करने के बाद भगवान विष्णु (Lord Vishnu) जागते हैं. तभी इस दिन से मंगल कार्यों की शुरुआत होती है. कार्तिक शुक्ल एकादशी का यह दिन तुलसी विवाह के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन लोग व्रत-उपवास करते हैं और भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं. मान्‍यता है कि चतुर्मास के आरंभ होने पर भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और दुनिया का कार्यभार भगवान शिव के कंधे पर होता है. जबकि भगवान विष्‍णु कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी के दिन चार माह के आराम के बाद जागते हैं.


देवउठनी एकादशी का शुभ मुहूर्त

देवउठनी एकादशी कल सुबह 5 बजकर 48 मिनट से शुरू होकर 15 नवंबर (सोमवार) सुबह 6 बजकर 39 मिनट पर खत्म होगी. 15 नवंबर को व्रत तोड़ने का समय देर रात 1 बजकर 10 मिनट से तड़के 3 बजकर 19 मिनट तक रहेगा. पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय देर रात 1 बजे तक है. इस दिन "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः "मंत्र का जाप करने से लाभ मिलता है.

देवउठनी एकादशी की पूजा विधि

देवउठनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर नहाकर स्वच्छ कपड़े धारण करके भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें जागने का आह्वान करें. साथ ही उस दिन व्रत करने का संकल्प लें. शाम के वक्त पूजा स्थल पर रंगोली बनाएं. फिर घी के 11 दीये देवताओं के निमित्त जलाएं. गन्ने का मंडप बनाकर बीच में विष्णु जी की मूर्ति रखें. भगवान हरि को गन्ना, सिंघाड़ा, लड्डू, पतासे, मूली जैसे मौसमी फल अर्पित करें. एक घी का दीपक जलाएं जो रात भर जलता रहे. आपको बता दें कि व्रत के बाद भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करने के बाद से ही सभी मांगलिक कार्य शुरू किये जा सकते हैं.

देव उठनी एकादशी के मंत्र

उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये, त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्॥

उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव, गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः॥

शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव.

देवउठनी एकादशी पर मां लक्ष्मी को लगाएं इस चीज का भोग

देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा में सिंघाड़ा, बेर, मूली, गाजर, केला और बैंगन सहित अन्य मौसमी सब्जियां अर्पित की जाती हैं. धार्मिक मान्यता है कि सिंघाड़ा मां लक्ष्मी का सबसे प्रिय फल है. इसका प्रसाद लगाने से मां लक्ष्मी खुश होती हैं.

देव उठनी एकादशी पर मां लक्ष्मी को ऐसे करें खुश

मोक्ष प्राप्ति के साथ धन लक्ष्मी को खुश करने की चाह रखने वाले लोगों को देवउठनी एकादशी के दिन दिवाली की तरह ही घर को साफ करना चाहिए और पूरी रात पूजा घर में लक्ष्मी नारायण के सामने अखंड दीप जलाना चाहिए.

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. इनकी पुष्टि जनता से रिश्ता नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
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