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फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी मनाई जाती है।
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी मनाई जाती है। यह तिथि हिंदू धर्म में अत्याधिक महत्व रखती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। ऐसा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। साथ ही व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। अमालकी एकादशी पर भगवान विष्णु जी की पूजा कैसे की जाए इसकी जानकारी हम आपको यहां दे रहे हैं।
अमालकी एकादशी पर इस तरह करें भगवान विष्णु की पूजा:
1. आमलकी एकादशी का व्रत दशमी तिथि से ही शुरू हो जाता है। इस दिन व्रती को भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए सोना चाहिए।
2. फिर एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठ जाना चाहिए। फिर स्नानादि कर भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष हाथ में तिल, कुश, मुद्रा और जल लेकर व्रत का संकल्प लें।
3. इसके बाद विष्णु जी के सामने कहें कि मैं भगवान विष्णु की प्रसन्नता एवं मोक्ष की कामना से आमलकी एकादशी का व्रत रखता हूं। मेरा यह व्रत सफलतापूर्वक पूरा हो इसके लिए श्रीहरि मुझे अपनी शरण में रखें।
4. इसके बाद निम्न मंत्र का जाप करें-
मम कायिकवाचिकमानसिक सांसर्गिकपातकोपपातकदुरित क्षयपूर्वक
श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त फल प्राप्तयै श्री परमेश्वरप्रीति
कामनायै आमलकी एकादशी व्रतमहं करिष्ये
5. विष्णु जी की पूजा करने के बाद पूजन सामग्री लें और फिर आंवले के वृक्ष की पूजा करें।
6. इसके लिए आपको सबसे पहले आंवले के पेड़ के चारों तरफ की भूमि को साफ करना होगा। फिर पेड़ की जड़ में एक वेदी बनाएं। इसमें एक कलश स्थापित करें।
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