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धर्म-अध्यात्म
आज इन शुभ मुहूर्तों में करें भगवान विष्णु की पूजा- विधि, पारण समय
Shiddhant Shriwas
2 Oct 2021 2:06 AM GMT
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आज आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इस एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इस एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। एकादशी तिथि का बहुत अधिक महत्व होता है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना की जाती है। एकादशी व्रत करने से मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर किसी व्यक्ति को एकादशी व्रत करना चाहिए। जो व्यक्ति व्रत नहीं कर सकता है उसे इस दिन सात्विक भोजन करना चाहिए और चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित होता है। आइए जानते हैं इंदिरा एकादशी व्रत पूजा की विधि, शुभ मुहूर्त, पारण समय और भगवान विष्णु की आरती...
इंदिरा एकादशी 2021 शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 01 अक्टूबर, शुक्रवार को रात 1 बजकर 03 मिनट से प्रारंभ हो गई है। एकादशी तिथि का समापन 02 अक्टूबर, शनिवार को रात 11 बजकर 10 मिनट पर होगा
शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 04:38 ए एम से 05:26 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:46 ए एम से 12:34 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:09 पी एम से 02:56 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05:54 पी एम से 06:18 पी एम
अशुभ मुहूर्त-
राहुकाल- 09:12 ए एम से 10:41 ए एम
यमगण्ड- 01:39 पी एम से 03:08 पी एम
गुलिक काल- 06:15 ए एम से 07:43 ए एम
दुर्मुहूर्त- 06:15 ए एम से 07:02 ए एम
इंदिरा एकादशी 2021 व्रत पारण का समय-
इंदिरा एकादशी का व्रत द्वादशी तिथि में होगा। व्रत पारण का शुभ समय 03 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 15 मिनट से सुबह 08 बजकर 37 मिनट तक है।
इंदिरा एकादशी पूजा- विधि-
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
भगवान की आरती करें।
भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
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Shiddhant Shriwas
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