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महेश नवमी के दिन करें भगवान शिव की पूजा, जाने शुभ मुहुर्त और महत्व
भगवान शिव को सभी देवों का देव कहा जाता है। इसलिए उनको महादेव भी कहा जाता है। साल भर में कई तिथियां व पर्व ऐसे आते हैं जिनमें भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इनमें से एक है महेश नवमी।
ज्येष्ठ महीने के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन को महेश नवमी पर्व के रुप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन ही माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई थी। लेकिन माहेश्वरी समाज ही नहीं सभी शिवभक्त महेश नवमी पर विशेष पूजा अर्चना करते हैं।
इस बार 9 जून को महेश नवमी है। इस दिन व्रत रखने के साथ ही भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। वहीं, ज्येष्ठ महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाने से हर तरह के पाप दूर हो जाते हैं।
महेश नवमी की पूजा विधि
पंडित के मुताबिक महेश नवमी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान शिव का जलाभिषेक करें। जलाभिषेक के बाद भोलेनाथ को बेलपत्र, भांग, धतूरा, पुष्प आदि अर्पित करें। शिव मंत्र के जप के साथ ही शिव चालीसा का पाठ करें।
महेश नवमी को लेकर प्रचलित है यह कथा
महेश नवमी को लेकर ऐसा माना जाता है कि माहेश्वरी समाज के पूर्वज क्षत्रिय वंश के थे। एक बार शिकार के दौरान उन्हें ऋषियों ने श्राप दे दिया। तब इस दिन भगवान शिव ने उन्हें श्राप से मुक्त कर उनके पूर्वजों की रक्षा की। इसके साथ ही उन्हें हिंसा छोड़कर अहिंसा का मार्ग बताया। महादेव ने अपनी कृपा से इस समाज को माहेश्वरी नाम दिया।
भगवान शिव के इन मंत्रों का करें जाप
ॐ नमः शिवाय।
ॐ नमो नीलकण्ठाय।
ॐ पार्वतीपतये नमः।
ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।
ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर.
ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।
ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।
ऊर्ध्व भू फट्।
इं क्षं मं औं अं।
प्रौं ह्रीं ठः।
इस विधि से करें पूजा अर्चना
इस दिन सुबह जल्दी उठकर नहाएं और व्रत का संकल्प लें।
उत्तर दिशा की ओर मुंहकर के भगवान शिव की पूजा करें।
गंध, फूल और बिल्वपत्र से भगवान शिव-पार्वती की पूजा करें।
दूध और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें।
शिवलिंग पर बिल्वपत्र, धतूरा, फूल और अन्य पूजन सामग्री चढ़ाएं।
इस प्रकार महेश नवमी के दिन भगवान शिव का पूजन करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।