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अध्यात्म डेस्क : हिन्दू पंचांग के अनुसार आज यानि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन गणगौर व्रत रखा जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से राजस्थान व ब्रज के कुछ इलाकों में अधिक प्रचलित है। इस दिन सुहागिन महिलाएं परिवार के कल्याण के लिए और पति की दीर्घायु के लिए भगवान शिव व माता पार्वती की उपासना करती हैं। साथ ही अविवाहित कन्याएं अच्छे और योग्य वर की कामना करते हुए, इस व्रत का पालन करती हैं। आइए जानते हैं गणगौर व्रत पूजा मुहूर्त और विधि।
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के गणगौर व्रत रखा जाता है, जिसे गौरी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। बता दें कि आज के दिन सुबह 06 बजकर 21 मिनट से दोपहर 01 बजकर 22 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही दोपहर 01 बजकर 22 मिनट से 25 मार्च सुबह 06 बजकर 20 मिनट तक है रवि योग रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आज के दिन इस शुभ योग में पूजा-पाठ करने से साधकों को विशेष लाभ मिलता है।
शास्त्रों में बताया गया है कि सुहागिन महिलाओं द्वारा गणगौर व्रत रखने से पति को दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है और परिवार में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। आज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना का विधान है। गणगौर पूजा के लिए शुभ मुहूर्त में मिट्टी से निर्मित भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा को सुंदर वस्त्र पहनाकर स्थापित करें। इसके बाद माता पार्वती को सुहाग की सामग्री अर्पित करें।