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धर्म-अध्यात्म
महेश नवमी पर करे भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा, जानें महत्त्व
Teja
5 Jun 2022 1:17 PM GMT

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ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी महेश नवमी कहलाती है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी महेश नवमी कहलाती है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. इस दिन नवमी 8 जून को पड़ रही है. बता दें, इस दिन पूजा करने से न केवल सभी दुख और कष्टों से मुक्ति मिल जाती है बल्कि महादेव की कृपा बरसती है. भीषण गर्मी में महेश नवमी का व्रत रखना बेहद कठिन होता है. ऐसे में इस दिन से जुड़ी कथा के बारे में पता होना जरूरी है. आज का हमारा लेख इसी विषय पर है. आज हम आपको अपने लेख के माध्यम से बताएंगे कि महेश नवमी से जुड़ी कथा क्या है. पढ़त हैं आगे…
महेश नवमी व्रत कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, खडगलसेन नाम के राजा रहा करते थे. उनकी कोई संतान नहीं थी. लाख कोशिशों के बाद भी जब पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई तो उन्होंने घोर तपस्या की. घोर तपस्या के बाद उन्हें एक पुत्र प्राप्त हुआ. उन्होंने अपने पुत्र का नाम सुजान कंवर रखा. हालांकि ऋषियों ने राजा को बताया था कि सुजान को 20 साल तक उतरी दिशा में ना जाने दिया जाए. धीरे-धीरे राजकुमार बड़े हुए. उन्हें युद्ध कला और शिक्षा का ज्ञान दिया गया. राजकुमार का ध्यान बचपन से ही जैन धर्म की तरफ था. उन्होंने जैन धर्म के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया. एक दिन 72 सैनिकों के साथ राजकुमार जब शिकार खेलने गए तो वह गलती से उत्तर दिशा की तरफ चले गए. सैनिकों के लाख मना करने पर भी वह नहीं रुके. उत्तरी दिशा में ऋषि तपस्या कर रहे थे. राजकुमार के वहां पहुंचते ही ऋषि की तपस्या भंग हो गई और ऋषि ने क्रोधित होकर राजकुमार को श्राप दे दिया. श्राप देते ही राजकुमार पत्थर के बन गए उनके साथ साथ सभी सिपाही भी पत्थर में बदल गए. यह समाचार जब राजकुमार की पत्नी चंद्रावती के पास पहुंचा तो उन्होंने सैनिकों की पत्नियों के साथ जंगल में जाकर माफी मांगी और श्राप मुक्त करने के लिए भी कहा. ऋषि ने कहा कि अगर तुम अपने पति को श्राप मुक्त करना चाहती हो तुम भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करो. ऐसा करने से राजकुमार को जीवनदान मिल जाएगा. तभी से इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है.

Teja
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