धर्म-अध्यात्म

इस दिन भगवान गणेश जी की करें पूजा, जाने इसका महत्व

28 Jan 2024 11:38 PM GMT
इस दिन भगवान गणेश जी की करें पूजा, जाने इसका महत्व
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हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सकट चौथ का पर्व होता है। इस बार सकट चौथ आज (29 जनवरी) मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा-व्रत करने का विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को संतान सुख और खुशहाली का आशीर्वाद प्राप्त होता है। …

हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सकट चौथ का पर्व होता है। इस बार सकट चौथ आज (29 जनवरी) मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा-व्रत करने का विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को संतान सुख और खुशहाली का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ज्योतिष शास्त्र में सकट चौथ के दिन कुछ विशेष कार्यों को करने का जिक्र किया गया है, जिनको करने से गणपति बप्पा प्रसन्न होते हैं और साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आइए आपको बताते हैं कि सकट चौथ के दिन कौन से कार्य करना फलदायी होते हैं।

ऐसे करें पूजा

सकट चौथ के दिन सुबह उठकर स्‍नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान गणेश जी का पंचामृत से स्नान करें। अब चौकी पर कपड़ा बिछाकर उनको विराजमान करें। इसके बाद रोली, चावल और फूलमाला अर्पित करें। दीपक जलाकर आरती और मंत्रों का जाप करें। इसके बाद तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं।

चंद्र देव के अर्घ्य का महत्व

शास्त्रों के अनुसार, धन लाभ, संतान प्राप्ति और संकट दूर करने के लिए चंद्र देव की पूजा की जाती है। एक लोटे में जल डालकर उसमे थोड़ा सा गंगाजल डाल लें। इसके बाद चन्द्रमा को अर्घ्य अर्पित करें। इस दौरान 'गगनार्णवमाणिक्य चंद्र दाक्षायणीपते। गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक' मंत्र का जाप करें।

तिल का करें दान

यदि आप कार्यों में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, तो सकट चौथ के दिन श्रद्धा अनुसार तिल का दान करें। मान्यता है कि ऐसा करने से तरक्की मार्ग खुल जाते हैं।

सकट चौथ का शुभ मुहूर्त

दैनिक पंचांग के अनुसार, माघ माह की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 29 जनवरी प्रातः 06 बजकर 10 मिनट से हो गई है और इसके अगले दिन यानी 30 जनवरी को सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर तिथि का समापन होगा। इस बार सकट चौथ का व्रत 29 जनवरी को है। सकट चौथ के दिन चंद्रोदय रात 09 बजकर 10 मिनट पर होगा।

करें ये आरती

॥श्री गणेश जी की आरती॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।

माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।

लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।

कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

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