धर्म-अध्यात्म

विनायक चतुर्थी पर आज ऐसे करें पूजा, होगी मनोकामना पूरी

Subhi
3 July 2022 4:31 AM GMT
विनायक चतुर्थी पर आज ऐसे करें पूजा, होगी मनोकामना पूरी
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आषाढ़ माह​ की विनायक चतुर्थी व्रत आज 03 जुलाई रविवार को है. यह जुलाई की पहली चतुर्थी है. आषाढ़ शुक्ल चतुर्थी तिथि 02 जुलाई शनिवार को दोप​हर 03:16 बजे से शुरु हो हुई है.

आषाढ़ माह​ की विनायक चतुर्थी व्रत (Vinayaka Chaturthi) आज 03 जुलाई रविवार को है. यह जुलाई की पहली चतुर्थी है. आषाढ़ शुक्ल चतुर्थी तिथि 02 जुलाई शनिवार को दोप​हर 03:16 बजे से शुरु हो हुई है. यह तिथि आज शाम 05:06 बजे तक मान्य रहेगी. उदयातिथि को देखते हुए 03 जुलाई को चतुर्थी व्रत और गणेश पूजन किया जाएगा. विनायक चतुर्थी व्रत में गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए उनके पसंद की वस्तुएं अर्पित करते हैं. पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं विनायक चतुर्थी और उसके पूजन विधि के बारे में.

विनायक चतुर्थी पूजा मुहूर्त 2022

विनायक चतुर्थी के दिन पूजा के लिए गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त 11:02 एएम से दोपहर 01:49 पीएम तक है. इस समय काल में आपको विनायक चतुर्थी पूजा कर लेनी चाहिए. इस दिन चंद्रोदय सुबह 08:54 एएम पर ही हो जाएगा. इस दिन चंद्रमा का दर्शन नहीं करना है, इस बात का ध्यान रखना होगा.

इस ​दिन रवि योग सुबह 05:28 एएम से लेकर सुबह 06:30 एएम तक रहेगा. चतुर्थी वाले दिन सिद्धि योग दोपहर 12:07 पीएम से रात तक रहेगा.

विनायक चतुर्थी व्रत और पूजन विधि

1. विनायक चतुर्थी के दिन व्रत एवं पूजा का संकल्प हाथ में जल, अक्षत् और पुष्प लेकर करना चाहिए.

2. इसके पश्चात शुभ मुहूर्त 11:02 एएम से गणेश जी की पूजा करनी चाहिए. गणेश जी को सर्वप्रथम पीले रंग की चौकी पर स्थापित करें. ​फिर उनका गंगाजल से अभिषेक करें.

3. अब गणेश जी को लाल या पीले वस्त्र, चंदन, सिंदूर, फूल, अक्षत्, धूप, दीप, गंध, दूर्वा, पान का पत्ता, जनेऊ, सुपारी आदि ओम गं गणपतये नम: या ओम गणेशाय नम: मंत्र के उच्चरण के साथ अर्पित करें.

4. गणपति बप्पा को उनका प्रिय मोदक या लड्डू का भोग लगाएं. फिर गणेश चालीसा और विनायक चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें.

5. पूजा का समापन गणेश जी की आरती जय गणेश जय गणेश देवा… से करें. फिर गणेश जी के समक्ष हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि वे आपकी मनोकामना पूर्ण करें. आपके कार्य सफल करें और सुख एवं समृद्धि प्रदान करें.

6. रात्रि के समय मीठा भोजन करके व्रत का पारण करें. उससे पूर्व किसी ब्राह्मण को दान और दक्षिणा से संतुष्ट करें.


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