- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- religion spirituality:...
धर्म-अध्यात्म
religion spirituality: नकारात्मक शक्तियों से बचने के लिए करें काल भैरव की पूजा
Kanchan
23 Jun 2024 4:12 AM GMT
x
religion spirituality: कालेष्टमी व्रत प्रति माह कृष्ण पक्ष की अष्टमीEighth तिथि को मनाया जाता है। यह माह 28 जून को मनाया जाएगा। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस दिन का व्रत रखते हैं, उन्हें भगवान शिव के सबसे उग्र स्वरूप का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही उन सभी नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्राप्त होती है। इसलिए काल भैरव पूजा अवश्य करें। हिंदू धर्म में कालाष्टमी व्रत का बहुत महत्व है। यह व्रत भगवान काल भैरव को समर्पित है। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रति माह यह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि (कालाष्टमी 2024) को मनाया जाता है। यह माह 28 जून को मनाया जाएगा। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस दिन का व्रत रखते हैं, उन्हें भगवान शिव के सबसे उग्र स्वरूप का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही उन्हें सभी नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्राप्त होती है। ऐसे में सभी बुरी ऊर्जा से बचने के लिए भैरव चालीसा का पाठ अवश्य करें, श्री गणपति गुरु गौरी पद प्रेम सहित धरी मठ। चालीसा वंदन करो श्री शिव भैरवनाथ श्री भैरव संकट हरण मंगल करण कृपाल। श्याम वरण विकराल वपु लोचन लाल विशाल॥जय जय श्री काली के लाला। जयति जयति काशी- कुटवाला॥जयति बटुक- भैरव भय हरि। जयति काल- भैरव बलकारी॥जयति नाथ- भैरव विख्याता। जयति सर्व- भैरव सुखदाता॥भैरव रूप कियो शिव धारण। भव के भार ट्रिगरण कारण॥भैरव रव सुनि हवै भय दूरा। सब विधि होय पूर्ण॥शेष महेश आदि गुण गायो। काशी- कोतवाल कहलायो॥जटा जूट शिर चन्द्र विराजत। बाला मुकुट बिजयठ सजात॥कटि करधनी घुंघरू बाजत। दर्शन करत सकल भय भजत॥ जीवन दान दास को दीन्ह्यो। कीन्ह्यो कृपा नाथ तब चीन्ह्यो॥ वासी रसना बनी सारद- काली। दीन्ह्यो वर राख्यो मम लाली॥धन्य धन्य भैरव भय भंजन। जय मनरंजन खल दल भंजन॥कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा। कृपा कटाक्ष सुयश नहिं थोड़ा॥जो भैरव निर्भय गुणProperty गावत। अष्टसिद्धि नव निधि फल पावत॥रूप विशाल कठिन दुख मोचन। क्रोध कराल लाल दुहुं लोचन॥अगणित भूत प्रेत संग डोलत। बम बम बम शिव बम बम बोलता॥रुद्रकाय काली के लाला। महा कालहू के हो काला॥बटुक नाथ हो काल गंभीरा। श्वेत रक्त अरु श्याम शरीरा॥करत नीनहूँ रूप प्रकाशा। भारत सुभक्तन कहं शुभ आशा॥ रत्न जड़ित कंचन सिंहासन। व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन॥तुमहि जाइ काशिहिं जन ध्यावहिं। विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं॥जय प्रभु संहारक सुनन्द जय। जय उन्नत हर उमा नन्द जय॥भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय। वैजनाथ श्री जगतनाथ जय॥महा भीम भीषण शरीर जय। रुद्र त्रयम्बक धीर वीर जय॥अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय। स्वनारुढ़ सायचंद्र नाथ जय॥निमिष दिगंबर चक्रनाथ जय। गहत अनाथन नाथ हाथ जय॥त्रिशलेश भूतेश चंद्र जय। क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय॥श्री वामन नकुलेश चंद जय। कृत्याउ कीरति प्रचंड जय॥रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर। चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर ॥करि मद पान शम्भु गुणगावत। चौंसठ योगिन संग नचावत॥करत कृपा जन पर बहुरूपा। काशी कोतवाल अड़बंगा॥देयं काल भैरव जब सोता। नसै पाप मोटा से मोटा॥जानकर निर्मल होय शरीरा। मिटै सकल संकट भव पीरा॥श्री भैरव भूतों के राजा। बाधा हरत करत शुभ काजा॥ऐलादी के दुख निवारणो। सदा कृपाकरी काज सम्हारयो॥सुन्दर दास सहित अनुरागा। श्री दुर्वासा निकट प्रयागा॥श्री भैरव जी की जय लेख्यो। सकल कामना पूर्ण देख्यो॥
Next Story