धर्म-अध्यात्म

Janmashtami पर इस आरती से करें बाल गोपाल की पूजा, हर मनोकामना होगी पूरी

Tara Tandi
26 Aug 2024 6:49 AM GMT
Janmashtami  पर इस आरती से करें बाल गोपाल की पूजा, हर मनोकामना होगी पूरी
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Janmashtami ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन कृष्ण जन्माष्टमी को बहुत ही खास माना गया है जो कि भगवान विष्णु के अवतार कृष्ण को समर्पित दिन है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी शुभ दिन पर भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। जिसे देशभर में कृष्ण जन्माष्टमी के तौर पर जाना जाता है इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना और व्रत का विधान होता है। मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से प्रभु का आशीर्वाद मिलता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है इस साल यह पर्व 26 अगस्त दिन सोमवार यानी आज देशभर में मनाया जा रहा है। इस शुभ दिन पर भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है। ऐसे में अगर आप लड्डू गोपाल को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो आज पूजा के समय भगवान की प्रिय आरती जरूर पढ़ें। मान्यता है कि ऐसा करने से कान्हा शीघ्र प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं और भक्तों की सारी मनोकामनाओं को पूरा कर देते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं कृष्ण आरती।
जन्माष्टमी के दिन करें भगवान कृष्ण की आरती—
आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला
श्रवण में कुण्डल झलकाला,नंद के आनंद नंदलाला
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली
लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक
चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की, आरती कुंजबिहारी की…॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग ग्वालिन संग।
अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा, बसी शिव सीस।
Krishna janmasthami 2024 read shri Krishna aarti on janmasthami
जटा के बीच,हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥ ॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद।
टेर सुन दीन दुखारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
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