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आज शनि जयंती पर बना अद्भुत संयोग, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को सोमवती अमावस्या के साथ शनि जयंती का व्रत पड़ रहा है। मान्यता है इस दिक कर्मफलदाता भगवान शनि की जन्म हुआ था। इसी कारण इस दिन को शनि यंती के रूप में मनाया जाता है। कर्मफलदाता शनिदेव हर किसी के कर्मों का हिसाब रखते हैं। मान्यता है कि शनिदेव व्यक्ति के कर्मों के हिसाब से शुभ फल या फिर दंड देते हैं। शनि जयंती के दिन शनिदेव की विधि-विधान से पूजा करके शनिदोष से छुटकारा पा सकते हैं। इस साल शनि जयंती पर काफी खास संयोग बन रहा है। जानिए शनि जयंती का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और शनि मंत्र के बारे में ।
शनि जयंती पर बन रहा खास संयोग
इस वर्ष शनि जयंती पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। करीब 30 साल बाद ऐसा हो रहा है जब शनि अपनी स्वराशि कुंभ राशि में विराजमान है। इसके साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ सिद्धि योग लग रहा है। इसके साथ ही शनि जयंती के दिन सोमवती अमावस्या और वट सावित्री व्रत भी पड़ रहा है।
शनि जयंती का शुभ मुहूर्त
शनि जयंती तिथि- 30 मई 2022, सोमवार को उदया तिथि होने के कारण इसी दिन शनि जयंती होगी।
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि आरंभ- 29 मई की दोपहर 2 बजकर 54 मिनट से शुरू
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि का समापन- 30 मई की शाम 4 बजकर 59 मिनट पर
शनि जयंती पर ऐसे करें भगवान शनि की पूजा
अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें।
शनिदेव का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प करें।
एक चौकी में नया काले रंग का वस्त्र बिछाकर शनिदेव की तस्वीर या फिर प्रतीक के रूप में सुपारी रख दें।
अब पंचगव्य और पंचामृत से स्नान कराएं।
इसके बाद सिंदूर, कुमकुम, काजल लगाने के साथ नीले रंग के फूल अर्पित करें।
श्री फल सहित अन्य फल चढ़ाएं।
इसके बाद दीपक जलाकर शनिदेव का ध्यान करते हुए शनि चालीसा के साथ-साथ शनि मंत्र का भी जाप कर लें।
अंत में आरती करने के साथ भूल चूक के लिए माफी मांग लें।
शनि के इन मंत्रों का करें जाप
शनि महामंत्र
ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥
शनि दोष निवारण मंत्र
ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम।
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।