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धर्म-अध्यात्म
शनि जयंती पर आज बन रहा अद्भुत संयोग, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और उपाय
Teja
30 May 2022 9:48 AM GMT
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आज शनि जयंति का पावन पर्व है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, हर साल ज्येष्ठ महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर शनि देव का जन्मोत्सव का त्योहार मनाया जाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | आज शनि जयंति का पावन पर्व है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, हर साल ज्येष्ठ महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर शनि देव का जन्मोत्सव का त्योहार मनाया जाता है। मान्यता के मुताबिक ज्येष्ठ महीने के अमावस्या तिथि के दिन न्याय और कर्म के देवता भगवान शनि का जन्म हुआ था। ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनिदेव की विशेष पूजा-आराधना और मंत्रों का जाप करके भगवान शनिदेव को प्रसन्न किया जाता है।
इस साल शनि जयंती के मौके पर एक साथ कई अद्भूत संयोग बन रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस बार 30 साल बाद के बाद शनि जयंती और सोमवती अमावस्या एक दिन है। इसके अलावा आज वट सावित्री का व्रत भी है। जब अमावस्या की तिथि सोमवार के दिन पड़ती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहते है। सोमवती अमावस्या कृतिका नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि के योग में शनि जन्मोत्सव का पर्व मनाना काफी खास है। ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि जयंती शनिदेव के स्वयं की राशि कुंभ में रहते ही है ऐसे में शनि जयंती का महत्व और भी अधिक हो जाता है।
शनि जयंति शनिदेव की पूजा-अर्चना का खास महत्व होता है। मान्यता के मुताबिक भगवान शनिदेव व्यक्ति को कर्मों के अनुसार ही सभी लोगों फल देते हैं। शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनि जयंती का दिन बहुत ही खास माना गया है। जिनके भी जीवन में शनि संबंधी कोई दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रकोप चल रहा है तो उन्हें शनि जयंती के दिन शनिदेव की पूजा आराधना का विशेष लाभ मिलता है। मान्यता के मुताबिक शनि जयंती के दिन शनि देव की पूजा-आराधना, दान-पुण्य और जप करने से जातक को सभी तरह का समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है।
शनि जयंती शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि का आरंभ- 29 मई को दोपहर 2 बजकर 54 मिनट से शुरू
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि की समाप्ति- 30 मई को शाम 4 बजकर 58 मिनट पर।
शनि जयंती पूजा विधि
भगवान शनिदेव की विशेष कृपा और सभी परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए शनि जयंती पर शनिदेव की पूजा-उपासना का खास महत्व होता है। शनि जयंती के मौके पर सुबह-सुबह अपने घर के आसपास स्थिति किसी शनि मंदिर जाकर भगवान शनिदेव की प्रतिमा को प्रणाम करते हुए सरसों के तेल से अभिषेक करें। शनिदेव को काले तिल, उड़द की दाल, नीले फूल और नीले वस्त्र अर्पित करते हुए तेल का दीपक जलाएं और ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जप करते रहें। इसके बाद शनिदेव की आरती करे और अंत में जरूरतमंदों को चीजों का दान दें।
शनि जयंती के दिन करें ये उपाय
- शनि जयंती के दिन शनिदेव के साथ-साथ हनुमान जी की पूजा भी करने की मान्यता है। ऐसा करने से शनिदोष साढ़े साती और ढैय्या का प्रभाव कम होने लगता है।
- हनुमान जी की आरती-चालीसा आदि का पाठ करने से भी शनि के दोष समाप्त होते हैं इसलिए जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रहा हो उन्हें ये उपाय जरूर करने चाहिए।
- शनि जयंती के दिन पीपल के वृक्ष पर सरसों के तेल का दीपक जलाकर उन्हें तिल अर्पित करने से शनि की बुरी नजर का प्रभाव कम होता है।
- शनि जयंती के दिन काले वस्त्र पहनने की सलाह दी जाती है।
- शनि जयंती के दिन शनि चालीसा का पाठ करने से लाभ मिलता है।
- शनि जयंती के दिन गरीबों को अन्न-धन आदि का दान करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं।
Teja
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