धर्म-अध्यात्म

शिवलिंग पर किन चीजों से करें अभिषेक

Apurva Srivastav
31 Jan 2023 4:05 PM GMT
शिवलिंग पर किन चीजों से करें अभिषेक
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धार्मिक शास्त्रों के हिसाब से, भगवान शिव ने हलाहल विष का पान किया था और इसके उपचार के लिए देवताओं
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रिमनाई जाती है. यह दिन भगवान शिव को समर्पित किया जाता है. इस दिन भोलेनाथ और मां पार्वती की विधि-विधान से पूजा करने से हर दिक्कत दूर होती है. शिवरात्रि के दिन भक्त शिवलिंग का अभिषेक करते हैं. ऐसे में यह जानना बहुत आवश्यक होता है कि महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर किन चीजों से करें अभिषेकक्या-क्या चीजें चढ़ानी चाहिए और इस दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए.
बेल पत्र
बेल पत्र भगवान शिव को काफी प्रिय है. भोलेनाथ को बेल पत्र चढ़ाना, एक करोड़ कन्याओं के कन्यादान के फल के जैसे ही होता है. ऐसे में महाशिवरात्रि के दिन तीन पत्तियों वाले बेल पत्र को शिवलिंग पर अर्पित करें.
भांग
धार्मिक शास्त्रों के हिसाब से, भगवान शिव ने हलाहल विष का पान किया था और इसके उपचार के लिए देवताओं ने बहुत तरह की जड़ी-बूटियों का प्रयोग किया था. इनमें से एक भांग भी होती है, इसीलिए भगवान शिव को भांग प्रिय है. महाशिवरात्रि के दिन भांग के पत्तों को पीसकर दूध या जल में घोलकर शिवलिंग का अभिषेक करें.
धतूरा
भगवान शिव को महाशिवरात्रि के दिन धतूरा अर्पित करें . शिवलिंग का धतूरे से अभिषेक करें. ऐसा करने से शत्रु दूर होते हैं. और भगवान भोलेशंकर की कृपा से आर्थिक स्थिति मजबूत हो जाती है.
गंगाजल
गंगा को हिंदू धर्म में पवित्र नदी माना जाता है और उनकी पूजा मां के तौर पर होती है. ऐसी मान्यता है कि गंगा भगवान शिव जी की जटाओं से धरती पर उतरी हैं. ऐसे में गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करने से मानसिक शांति और सुख मिलता है.
गन्ने का रस
ऐसी मान्यता है कि कामदेव का धनुष गन्ने से बना हुआ होता है. देवप्रबोधनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां तुलसी की पूजा करने के लिए गन्ने का घर निर्मित किया जाता है. अब ऐसे में गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है.
दिशा
भगवान शिव का मुख्य प्रवेश द्वार उत्तर दिशा को माना जाता है. अब ऐसे में शिवलिंग पर हमेशा उत्तर दिशा की ओर मुंह करके जल चढ़ाना चाहिए. इस तरफ मुंह करके जल चढ़ाने से भगवान शिव सहित माता पार्वती का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है.
पात्र
हमेशा शिवलिंग पर तांबे के पात्र से ही जल अर्पित करें. फिलहाल, तांबे के पात्र से कभी दूध नहीं चढ़ाना चाहिए. इस पात्र में दूध विष के समान होता है. तो वहीं, शिवलिंग पर कभी भी तेज धार से जल अर्पित नहीं करना चाहिए.
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