धर्म-अध्यात्म

देवी दुर्गा के 9 स्वरूपों के इन 9 मंत्रों का जाप करने से पूर्ण होंगी मनोकामनाएं

Subhi
5 April 2022 3:24 AM GMT
देवी दुर्गा के 9 स्वरूपों के इन 9 मंत्रों का जाप करने से पूर्ण होंगी मनोकामनाएं
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02 अप्रैल से मां आदिशक्ति की उपासना का उत्सव यानी नवरात्रि का शुभारंभ हो चुका है। भगवती दुर्गा की पूजा वैदिक काल से चली आ रही है।

02 अप्रैल से मां आदिशक्ति की उपासना का उत्सव यानी नवरात्रि का शुभारंभ हो चुका है। भगवती दुर्गा की पूजा वैदिक काल से चली आ रही है। विभिन्न युगों में विविध रूपों को धारण करने वाली भगवती दुर्गा के अवतरण का मुख्य उद्धेश्य समाज और राष्ट्र को अव्यवस्थित करने वाली आसुरी शक्तियों का दमन कर प्रजा के मन में दया, धर्म, धैर्य, विद्या, बुद्धि, क्षमा और अक्रोध रूपी धर्म को धारण कराना है। देवी दुर्गा के नौ रूप है।

शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंधमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री है। नौ दिन माता के भक्त दुर्गाजी के नौ स्वरूपों की उपासना बड़े ही श्रद्धा भाव से करते हैं,मंत्र भी बोलते हैं। शास्त्रों में पूजा करते समय देवी के हर स्वरूप के लिए अलग-अलग स्तुति मंत्रों का विधान बताया गया है,जिनको करने से प्राणी के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।

1.प्रथम मां शैलपुत्री-

स्तवन मंत्र-

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

2. द्वितीय माँ ब्रह्मचारिणी-

स्तवन मंत्र-

दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

3.तृतीय माँ चंद्रघंटा-

स्तवन मंत्र-

पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।

4. चतुर्थ माँ कुष्मांडा-

स्तवन मंत्र-

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

5. पंचम मां स्कंदमाता-

स्तवन मंत्र-

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

कात्यायिनी देवी

6. छठी माँ कात्यायिनी-

स्तवन मंत्र-

चंद्र हासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना ।

कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानवघातिनि ।।

कालरात्रि देवी

7. सप्तम माँ कालरात्रि-

स्तवन मंत्र-

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।

लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥

वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।

वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

8. अष्टम माँ महागौरी

स्तवन मंत्र-

श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

9. नवीं माँ सिद्धिदात्री-

स्तवन मंत्र-

सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,

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