धर्म-अध्यात्म

प्राचीन मंदिरों में दर्शन करने से पूर्ण होती हैं मनोकामना

Shreya
23 July 2023 6:23 AM GMT
प्राचीन मंदिरों में दर्शन करने से पूर्ण होती हैं मनोकामना
x

हिन्दू कैलेंडर का पांचवां महीना यानि श्रावण माह चल रहा है। यह पवित्र माह भगवान शिव को समर्पित होता है। भगवान शिव की कृपा उनपर बनी रहे इसलिए भक्त पौराणिक शिव मंदिरों में दर्शन करने जाते है।

भारत में भगवान शिव के कई ऐसे प्राचीन मंदिर हैं जिनके दर्शन मात्र से ही मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं। सावन के महीने में इन मंदिरों की यात्रा करना शुभ माना जाता हैं। तो आइए जानते हैं भगवान शिव के चमत्कारी मंदिर कौन से और कहाँ स्थित हैं।

महाकालेश्वर शिव मंदिर

उज्जैन मध्य प्रदेश ही नहीं ब्लकी भारत के पवित्र और प्राचीन शहर के रूप में जाना जाता है। महाकालेश्वर शिव मंदिर उज्जैन के बीच रुद्र सागर झील के किनारे स्थित है। साथ ही महाकालेश्वर की मूर्ति का मुख दक्षिण दिशा की ओर है, जिस कारण इसे दक्षिणामूर्ति के नाम से जाना जाता है। बता दें भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में यह एकमात्र मंदिर है जिसका मुख दक्षिण दिशा की ओर है।

अमरनाथ धाम

श्रीनगर से करीब 145 किलोमीटर दूर स्थित अमरनाथ धाम के बारे में कहा जाता है कि इसी गुफा में भगवान शिव ने देवी पार्वती को अमरत्व का मंत्र सुनाया था। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव स्वयं अमरनाथ गुफा में विराजमान हैं।

अमरनाथ गुफा के अंदर हिम शिवलिंग के दर्शन मात्र से ऐसी मान्यता है कि लोगों को 23 पवित्र तीर्थस्थानों के दर्शन जितना पुण्य मिलता है। यहीं पर स्थित पार्वती पीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है जहाँ भगवती सती का कंठ भाग गिरा था।

ओंकारेश्वर मंदिर

ओंकारेश्वर मंदिर शिवपुरी में स्थित है, जिसे पवित्र द्वीप के नाम से जाना जाता है जहां। यह भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। दरअसल यह द्वीप ओम के आकार का है, इसलिए इसे बहुत ही शुभ स्थान माना जाता है।

केदारनाथ मंदिर

लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर में स्थित सबसे बड़ा मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर में श्रावण महीने के दौरान महान समारोह का आयोजन होता है। समारोह के दौरान, तीर्थयात्री एक साथ इकट्ठा होते हैं और महानदी से मंदिर तक पानी ले जाते हैं।

केदारनाथ पवित्र हिंदू मंदिर हिमालय में मंदाकिनी नदी के पास स्थित है। भारत में इस मंदिर के 4 प्रमुख स्थल हैं; यमुनोत्री, गंगोत्री, छोटा चार धाम और बद्रीनाथ। यहां पहुंचने के लिए गौरीकुंड से 14 किमी की चढ़ाई करनी पडती है। यहां “बम बम भोले” का जाप करते हुए चढ़ाई करते जाएं।

लिंगराज मंदिर

Next Story