धर्म-अध्यात्म

गणेशजी के मस्तक पर क्यों लगाया गया हाथी का सिर, जानें कहां गया असली मस्तक

Ritisha Jaiswal
26 Jan 2022 9:45 AM GMT
गणेशजी के मस्तक पर क्यों लगाया गया हाथी का सिर, जानें कहां गया असली मस्तक
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हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है.

हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. कहते हैं कि इनकी पूजा के बिना कोई भी पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है. भगवान गणेश का एक नाम गजानन है. हाथी का मुख होने के कारण इनका नाम गजानन पड़ा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान गणेश का असली मस्तक कहां गया? इसका रहस्य पुराणों में बताया गया है. जानते हैं इस बारे में.

पहली कथा
पुराणों में गणेशजी के जन्म के बारे में दो कथाओं का वर्णन मिलता है. पहली कथा के मुताबिक गणेशजी के जन्म के समय इंद्र सहित सभी देवी-देवता उपस्थित हुए. इसी क्रम में शनिदेव भी वहां पहुंत गए. मान्यता है कि शनि देव जहां पहुंच जाते हैं वहां अनिष्ट होना निश्चित होता है. गणेशजी पर शनि की दृष्टि पड़ने के कारण उनका मस्तक अलग होकर चंद्रमंडल में चला गया. इसके बाद भगवान शिव ने गणेशजी को मुख पर गज यानि हाथी का सिर लगा दिया.
दूसरी कथा
दूसरी कथा के अनुसार माता पार्वती अपने शरीर के मैल से गणेश का स्वरूप बनाया. जब माता पर्वती स्नान के लिए गईं, तब तक के लिए गणेशजी को द्वार पर पहरा देने के लिए खड़ा कीं. इस बीच भगवान शंकर वहां आ गए और द्वार में प्रवेश करने लगे. तब गणेशजी ने उन्हें अंदर जाने से रोका. इस पर भगवान शिव ने अनजाने में कुपित होकर श्रीगणेश का मस्तक काट दिया, जो चंद्र लोग चला गया. इस पर मां पर्वती रुष्ट हो गईं. रुष्ट पार्वती को मनाने के लिए भगवान शिव ने कटे मस्तक के स्थान पर गजमुख लगा दिया. मान्यता है कि भगवान गणेश का असल मस्तक चंद्रमंडल में है


Ritisha Jaiswal

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